नई दिल्ली: देश में कोरोना महामारी से एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. देश में संक्रमण मुक्त हुए लोगों की संख्या भी 68 लाख से अधिक हो गई है. इस प्रकार संक्रमण से ठीक होने वालों की दर 88 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है. लेकिन इस वायरस से ठीक होने वाले व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ रही हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ सुनीला गर्ग और वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. तमोरिश कोले से बात की.
ईटीवी भारत से बातचीत में प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ सुनीला गर्ग ने कई सारी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं गंभीर चिंता का विषय हैं.
कोरोना के बाद आने वाली समस्याओं से स्वास्थ्य मंत्रालाय भी अवगत है, जिसके चलते मंत्रालय ने कोरोना क्लीनिक खोलने की पहल की है.
देशभर में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रिपोर्ट की गई है.
बता दें कि गुरुवार को तेलंगाना में सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नानी नरसिम्हा रेड्डी का निधन हो गया है.
दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसन विभाग की प्रमुख सुनीला गर्ग ने कहा कि कोरोना से ठीक होने वाले व्यक्ति कैसा व्यवहार करते हैं, यह उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली, उम्र और सह-रुग्णता पर निर्भर करता है.
गर्ग ने कहा कि कम उम्र के लोगों में आमतौर पर देखा जाता है कि रिकवरी तेज होती है, लेकिन बूढ़े लोगों के लिए रिकवरी में समय लगता है. कोरोना के इलाज के लिए लगातार फॉलो-अप भी जरूरी है.
डॉ. गर्ग ने कहा कि कोरोना से ठीक होने वाले व्यक्ति को स्थिति से निपटने के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए फैमिली सपोर्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.