जयपुर : राजस्थान में मेवाड़ राजवंश और हल्दी घाटी से जुड़े पाठ्यक्रम के विवाद का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है. इस बार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षा की किताबों में दिए गए लेख पर विवाद छिड़ा है. इस बार महाराणा प्रताप और अकबर में से कौन महान होगा, इस तथ्य को अलग रखकर महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह के राजतिलक, उनके सौतेले भाई व दासी पुत्र बनवीर को लेकर किताबों में जोड़ी गई नई टिप्पणी, हल्दीघाटी के नाम का वर्णन और दसवीं व 12वीं की पुस्तकों में दिए गए तथ्यों में फर्क पर बखेड़ा खड़ा हो गया है. इस मसले पर ईटीवी भारत के जयपुर ब्यूरो दफ्तर पर इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत, प्रदेश कांग्रेस महासचिव ज्योति खंडेलवाल और भारतीय जनता पार्टी के नेता मनीष पारीक ने अपने विचार रखे.
क्या है वर्तमान विवाद
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में इस बार दसवीं कक्षा में नई किताब राजस्थान का इतिहास और संस्कृति पर आएगी. लेकिन अब स्कूल खोलने से पहले इस किताब के बाजार में आने के साथ ही विवाद खड़े हो गए हैं. इस किताब में महाराणा उदय सिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है. किताब के पहले अध्याय में राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश का परिचय दिया गया है. जिसमें पेज नंबर 11 पर लिखा है कि 1537 ईसवी में उदय सिंह का राज्याभिषेक हुआ. 1540 ईसवी में मावली के युद्ध में उदय सिंह ने मालदेव के सहयोग से बनवीर की हत्या कर मेवाड़ की पैतृक सत्ता प्राप्त की थी. 1559 में उदयपुर में नगर बसाकर उसे राजधानी बनाई.
पेज नंबर 12 पर हल्दीघाटी के नामकरण को लेकर अजीबोगरीब तर्क लिखा गया है. यहां डॉक्टर महेंद्र भाणावत की किताब 'अजूबा भारत' के हवाले से लिखा गया है कि हल्दीघाटी नाम हल्दी जैसे रंग की मिट्टी के कारण नहीं पड़ा, बल्कि इसका एकमात्र कारण यह है कि यहां हल्दी चढ़ी कई नवविवाहिताएं पुरुष भेष में लड़ीं और वीरगति को प्राप्त हुईं.
इसके अलावा इसी पेज पर हकीम खान सूरी के सामने मुगल सेना का नेतृत्वकर्ता जगन्नाथ कच्छावाहा को बताया है जबकि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा की भारत का इतिहास किताब में लिखा गया है कि मुगल सेना का नेतृत्व राजा मानसिंह ने किया था. ऐसे में एक ही बोर्ड में दो अलग-अलग किताबों में अलग-अलग तथ्य लिखे गए हैं.
इससे पहले पिछले वर्ष माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान किताब में हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की हार के कारणों का उल्लेख किया गया था. उसमें महाराणा प्रताप की रणनीति में पारंपरिक युद्ध तकनीक को पहला कारण बताते हुए चार मुख्य कारण गिनाए गए थे. उसमें लिखा था कि सेनानायक में प्रतिकूल परिस्थितियों में जिस धैर्य संयम और योजना की आवश्यकता होनी चाहिए, महाराणा प्रताप में उसका भाव था, हालांकि नई किताबों में से इन तथ्यों को हटाकर बदलाव किया गया है, फिलहाल उदय सिंह और हल्दीघाटी युद्ध को लेकर दिए गए तथ्य विवाद का कारण बन गए हैं.
पहले भी हुआ है विवाद
पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के दौरान शिक्षा मंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल इतिहास में मुगल सम्राट अकबर के आगे लिखे महान शब्द पर ऐतराज जताया था. उन्होंने इसे पाठ्यक्रम से अलग करने की बात कही थी. देवनानी ने बताया था कि इस युद्ध का परिणाम नहीं निकला, तो फिर कैसे महाराणा प्रताप से बेहतर अकबर को कहा जा सकता है. उन्होंने हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम में महाराणा प्रताप की हार के वर्णन पर भी सवाल खड़े किए थे और बाद में इसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया.