नई दिल्ली/श्रीनगर: जम्मू कश्मीर को लेकर राजनीतिक पारा अचानक ही गर्म हो गया है. गृह मंत्रालय ने पर्यटकों को वापस लौटने की एडवायजरी जारी कर दी. अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती हो गई है. इसके बाद वहां की सियासी पार्टियों ने आपस में मिलकर रणनीति बनाने की बात कही है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हम लोगों को केन्द्र पर दबाव बनाना चाहिए और उन्हें यह कहना चाहिए कि राज्य में आप जैसा चाहें, वैसा नहीं कर सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर की अफवाहों पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने दिल्ली सभी से बातच की लेकिन किसी ने भी ऐसे कोई संकेत नहीं दिए कि हम ऐसा कुछ करेंगे. किसी का कहना है कि राज्य तीन भागों में बंटने वाला है. कोई आर्टिकल 35 ए, धारा 370 के बारे में बात कर रहे हैं...लेकिन प्रधानमंत्री या गृह मंत्रालय किसी ने भी मुझसे इस बारे में चर्चा नहीं की.
नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने भी राज्य के हालात पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने आज गवर्नर सत्यपाल मलिक से मुलाकात की. बाद में अब्दुल्ला ने कहा कि सबकुछ सामान्य है, यह यकीन दिलाया गया है.
सत्यपाल मलिक ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक प्रतिनिधिमंडल को बताया कि राज्य को संवैधानिक प्रावधानों में किसी भी बदलाव के बारे में कोई जानकारी नहीं है और यह आश्वासन दिया कि अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती विशुद्ध रूप से सुरक्षा कारणों से उठाया गया कदम है.
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राजभवन की ओर से यहां जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल को बताया कि सुरक्षा स्थिति इस तरह से पैदा हुई है जिस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता थी.
राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया, 'अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमलों के संबंध में सुरक्षा एजेंसियों को विश्वसनीय जानकारी मिली थी. नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी बढ़ा दी गई जिसका सेना ने प्रभावी ढंग से जवाब दिया गया.'