ग्वालियर :मध्यप्रदेश में एक बार फिर महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमा मंडन गाजे-बाजे से साथ किया गया. दौलतगंज स्थित हिंदू महासभा ऑफिस की कार्यशाला में बड़ी बात रही कि गोडसे के साथ लगाए गए चित्रों में बीजेपी के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी, केशव बलिराम हेडगेवार, वीर सावरकर सहित कई महापुरुषों के भी चित्र थे. अब इतना सब हो गया तो लाजिमी है कि सियासत भी होगी तो गांधी और गोडसे विचारधारा की लड़ाई फिर मध्यप्रदेश की धरती में डोलने लगी.
गोडसे की ज्ञानशाला में जयकारे भी लगाए गए, खूब पाठ पढ़ाए गए. गोड़से को देशभक्त बताया गया. नाथूराम गोडसे हिंदू महासभा से जुड़ा था, ऐसे में हिंदू महासभा हमेशा गोडसे के नाम का महिमामंडित करती है.
महापुरुषों और अमर शहीदों की तस्वीरों के साथ गोडसे की तस्वीर हद तो तब हो गई जब गोडसे के साथ महाराणा प्रताप, महारानी लक्ष्मीबाई, गुरु गोविंद सिंह और लाला लाजपत राय जैसे महापुरुषों और अमर शहीदों की तस्वीरें लगी दिखीं. महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे पर हिन्दू महासभा ने जो बड़ा स्टडी सेंटर खोला है, वहां अब गोडसे की देशभक्ति के किस्से लोगों को बताया जाएगा.
'बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे इस तरह के समाज विरोधी काम'
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस तरह के समाज विरोधी काम बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. लेकिन नरोत्तम मिश्रा इस मुद्दे में ज्यादा नहीं बोले. वहीं ग्वालियर बीजेपी अध्यक्ष कमल माखीजानी ने कहा कि गोडसे को लेकर कोई क्या सोचता है, यह उसका व्यक्तिगत मामला है. बीजेपी कार्यकर्ता तो गांधीवादी चश्मे से ही सभी को देखते हैं. हम गांधी जी के दिखाए हुए रास्ते पर रास्ते पर चलते हैं. चाहे वो सत्य-अहिंसा का हो, समाज सुधार को हो या स्वच्छता का.
कांग्रेस ने साधा निशाना
गोडसे कार्यशाला पर कमलनाथ का ट्वीट ग्वालियर की कार्यशाला पर कांग्रेस ने कड़े शब्दों में विरोध किया है. खुद पूर्व सीएम कमलनाथ ने शिवराज सरकार को जमकर घेरा. कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा कि मुख्यमंत्री व भाजपा स्पष्ट करें कि वो किस विचारधारा के साथ हैं गांधी की या गोडसे की ? इस तरह के कार्यक्रम कैसे आयोजित हुए ? कितना शर्मनाक है कि भाजपा सरकार में बापू के हत्यारे की खुलेआम पूजा, आरती, महिमामंडन किया जा रहा है, उसे हीरो की तरह प्रचारित किया जा रहा है और ज़िम्मेदार मौन हैं?
वहीं कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि निहत्थे बुजुर्ग को गोली मारना अगर इनके लिए राष्ट्रवाद है तो उनकी सोच पर दया आती है. हिंदू, बीजेपी और आरएसएस हमेशा से यहीं करती रही है. देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को इसका विरोध करना चाहिए.
वहीं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कांग्रेस मीडिया प्रभारी के इस मामले में किए गए ट्वीट को रीट्वीट किया...
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता बालेंदु शुक्ल ने इस पर कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी है. अगर ये आज की युवा पीढ़ी मानें तब तो कुछ हो. हिंदू महासभा की वर्तमान में क्या परिस्थिति है, यह सबको पता है. कुछ लोग अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ऐसा कृत्य करते हैं, जो लंबे समय तक चलने वाला नहीं है.
ग्वालियर में पहले भी हो चुका है महिमामंडन
15 नवंबर 2017 को ग्वालियर में हिंदू महासभा ने गोडसे का मंदिर बनाया था. इसके बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में सियासत शुरू हो गई और यह मामला इतना तूल पकड़ा गया कि शिवराज सिंह चौहान ने मंदिर से मूर्ति हटाने का आदेश जारी किया.
नाथूराम गोडसे और गांधी विचारधारा
नाथूराम गोडसे को किसी ने अच्छा कहा तो किसी ने बुरा. लेकिन सच्चाई कभी नहीं बदल सकती कि वो महात्मा गांधी का हत्यारा था. नाथूराम गोडसे पर बहस हमेशा से होती आई है. और इसी बहस में किसी ने उसे आतंकवादी कहा, हिंदू आतंकवाद से जोड़ा, वहीं कुछ लोगों ने गांधी की हत्या को वध कहा, और नाथूराम गोडसे को महापुरुष. नाथूराम गोडसे को लेकर बीजेपी को हमेशा से ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. जबकि नाथूराम पर भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और कट्टर हिंदू संगठनों की अपनी अलग-अलग विचारधारा है. लेकिन कोई भी हिंदू संगठन अगर गोडसे का महिमामंडन करता है तो आरोप भाजपा पर लगता है.
...जब गोडसे को देशभक्त बता गई थीं सांसद साध्वी प्रज्ञा
मध्य प्रदेश का गोडसे को लेकर विवादों से लंबा नाता रहा है. हिन्दू महासभा ग्वालियर में हर साल गोडसे का जन्मदिवस मनाती है. दो साल पहले भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा भी गोडसे को देशभक्त बताकर विवादों में आ चुकी हैं. हालांकि बाद में उन्हें गोडसे पर बयान को लेकर संसद में माफी मांगनी पड़ी थी, उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि मैं साध्वी प्रज्ञा को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा.
कौन था नाथूराम गोडसे
30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी. गांधीजी की हत्या के जुर्म में नाथूराम को 15 नवंबर, 1949 को फांसी दी गई थी. नाथूराम हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक था.
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माना जाता है कि उसने बहुत ही करीब से गांधीजी की छाती में तीन गोलियां मारी थीं. जिसके बाद महात्मा गांधी का निधन हो गया था. किताबों और स्टडी में जो कहा गया है उसमें गोडसे को महात्मा गांधी का पक्का अनुयायी बताया गया. गांधीजी ने जब नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ा तो उसने न सिर्फ आंदोलन का समर्थन किया बल्कि बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया. लेकिन बाद में वह गांधीजी के खिलाफ हो गया.