दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

देश पर संकट के समय भी राजनीतिक दलों ने नहीं खोला अपना खजाना

देश में कोरोना महामारी फैली हुई है. इस महामारी से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड की घोषणा की. उन्होंने लोगों से दान देने की अपील भी की. इसके बाद से इस फंड में आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े दिग्गजों ने भी दान दिया. कोष के गठन के महज एक सप्ताह में ही 6,500 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा हो गई है. हालांकि, आम जनता के मन में यह सवाल लगातार सवाल उठ रहा है कि कोरोना लड़ाई में राजनीतिक दलों ने क्या योगदान दिया या इस महामारी से निबटने के लिए क्या किया? पढ़ें हमारी यह खास रिपोर्ट...

डिजाइन इमेज
डिजाइन इमेज

By

Published : Apr 12, 2020, 4:58 PM IST

Updated : Apr 13, 2020, 12:39 AM IST

हैदराबाद : देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस महामारी से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) की स्थापना की. इसके बाद प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के लोगों से इस फंड में सहायता राशि दान करने की अपील की.

पीएम मोदी के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी पीएम केयर्स फंड में दान के लिए लोगों से आग्रह किया. इसके बाद इस फंड में आम जनता से लेकर कलाकार, खिलाड़ी, उद्योगपति, शासकीय-निजी कर्मचारी सभी दान देने लगे और महज एक सप्ताह में ही 6,500 करोड़ से अधिक राशि एकत्रित हो गई.

पीएम केयर्स फंड को कई संगठनों और व्यक्तियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली. कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने भी इसमें योगदान दिया. वहीं भारत की आम जनता के मन में यह सवाल उठ रहा है कि राजनीतिक दलों ने कोरोना से लड़ने के लिए क्या किया. इस फंड में कितना अनुदान दिया. गरीब प्रवासी मजदूरों के लिए क्या किया? आइए पीएम केयर्स फंड से जुड़े आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं...

पीएम केयर्स फंड में 6,500 करोड़ रुपये का दान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) की घोषणा की. इस राहत कोष से कोरोना और भविष्य में आने वाली महामारियों से लड़ा जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस से मुकाबला करने के लिए लोगों से पीएम केयर्स फंड में अनुदान करने की अपील की.

प्रधानमंत्री मोदी ने 28 मार्च को इस फंड की घोषणा की. इस राहत कोष के गठन के बाद एक सप्ताह में ही 6,500 करोड़ से अधिक रुपये इस फंड में जमा हो गए.

यह राशि प्रधानमंत्री राहत कोष वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 के बीच में प्राप्त 2,119 करोड़ रुपये के संयुक्त सार्वजनिक दान से तीन गुना ज्यादा है. इस बात की जानकारी प्रधानमंत्री राहत कोष के खाते से सामने आई.

इस अवधि में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) का कुल व्यय 1,594.87 करोड़ रुपये था, जबकि वर्ष 2019 के अंत में इस कोष में करीब 3,800 करोड़ रुपये शेष थे.

500 रुपये से लेकर 500 करोड़ रुपये तक का दान

30 मार्च को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कोरोना लड़ाई से निपटने के लिए पीएम केयर्स फंड में 500 करोड़ रुपये का दान दिया. इसके अतिरिक्त रिलायंस ने गुजरात और महाराष्ट्र सीएम राहत कोष में पांच-पांच करोड़ रुपये दान किए.

रिलायंस ने कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए 100 बेड का अस्पताल भी बनाने के लिए कहा. कंपनी प्रतिदिन एक लाख मास्क का निर्माण कर रही है. रिलायंस जरूरतमंदों के लिए सुरक्षात्मक समान और खाना की भी व्यव्स्था कर रही है.

वहीं टाटा समूह और टाटा ट्रस्ट ने इस महामारी से लड़ने के लिए 1,500 करोड़ रुपये दान देने का वादा किया है. 31 मार्च को टाटा कंपनी ने ट्विटर पर बताया कि वह इसी राशि में से 500 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दान कर रही है. साथ ही टाटा ने कहा कि हम हमेशा की तरह पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और राष्ट्र के समर्थन के लिए एकजुट हैं.

आदित्या बिड़ला ग्रुप ने भी इस महामारी से लड़ने के लिए 500 करोड़ का दान दिया है, जिसमें से चार सौ करोड़ रुपये कंपनी ने पीएम केयर्स फंड में दान दिया. वृहन्मुंबई नगर निगम के साथ साझेदारी में, बिड़ला ग्रुप ने मुंबई के सेवन हिल्स अस्पताल में 100 बेड अस्पताल बनाया.

कंपनी ने अन्य उपायों के अलावा उज्जैन, पुणे, हजारीबाग और रायगढ़ जैसे शहरों में कोरोना प्रभावित मरीजों के लिए 200 बिस्तरों वाली इकाइयों की स्थापना करेगी.

अडानी और डी-मार्ट समूह ने भी पीएम केयर्स फंड में 100-100 करोड़ का योगदान दिया.

अभिनेता अक्षय कुमार ने पीएम केयर्स फंड में 25 करोड़ रुपये और भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना ने राहत कोष में 32 लाख रुपये का दान दिया.

इसके अतिरिक्त आम जनता ने भी इस फंड में सहयोग राशि दी. ट्विटर उपयोगकर्ता सैयद अताउर रहमान ने पीएम केयर्स फंड में 501 रुपये का दान दिया. उन्होंने ट्विटर पर दान की रसीद साझा करते हुए लिखा, 'कोरोना वायरस से लड़ने के लिए छोटा सा दान...'

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि यहां पर कुछ भी छोटा और बड़ा नहीं है. प्रत्येक दान मायने रखता है. यह कोविड-19 को पराजित करने के हमारे सामूहिक संकल्प को दर्शाता है.

भारत में राजनीतिक पार्टियों की आय

एक तरफ सभी पीएम केयर्स फंड में अपना सहयोग दे रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दलों ने पीएम केयर्स फंड में कोई सहयोग राशि नहीं दी.

भाजपा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-2019 के दौरान पार्टी को 2410.08 करोड़ रुपये चंदा मिला था. इसमें से 41.71 फीसद (1,005.33 करोड़ रुपये) खर्च किया गया है. जबकि 58.29 फीसद रुपये खर्च नहीं हुए हैं.

कांग्रेस पार्टी को इस वित्तीय वर्ष में 918.03 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले थे. इस दौरान पार्टी ने 469.92 करोड़ खर्च किए, जो कुल आय की 51.19 फीसदी राशि थी.

वहीं तृणमूल कांग्रेस को कुल 192.65 करोड़ रुपये चंदे के रुप में मिले. पार्टी ने इसमें से सिर्फ 11.50 करोड़ रुपये ही खर्च किए, जोकि कुल आय का करीब छह फीसद था.

बता दें कि देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों (भाजपा, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस) को वर्ष 2018-19 के वित्तीय वर्ष के दौरान 3698.66 करोड़ रुपये चंदे में मिले थे. वहीं, देश की 37 क्षेत्रीय पार्टियों को वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 1089.60 करोड़ अनुदान मिला.

बीजू जनता दल (बीजद) ने बताया कि उसे 249.31 करोड़ रुपये चंदे में मिले हैं, जो विश्लेषण किए गए सभी दलों की कुल आय का 22.88% हैं. इसके बाद तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को 188.71 करोड़ रुपये मिले, जो 17.32 फीसद हैं. वहीं वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को 181.08 करोड़ रुपये चंदे के रूप में प्राप्त हुआ, जो 37 क्षेत्रीय दलों की कुल आय का 16.62 फीसद था.

क्षेत्रीय दलों के शीर्ष तीन दलों की कुल आय 619.10 करोड़ रुपये थी, जिसमें सामूहिक रूप से विश्लेषण किए गए राजनीतिक दलों की कुल आय का 56.82% शामिल था.

देश के छह राष्ट्रीय और 37 क्षेत्रीय दलों को 4788.26 करोड़ रुपये चंदे में मिले. (3,698.66 करोड़ राष्ट्रीय और 1089.60 करोड़ रुपये क्षेत्रीय दलों)

राजनीतिक पार्टियों का खर्च

थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों ने भारत के हालिया संपन्न आम चुनाव में लगभग 60 हजार करोड़ रुपये (लगभग 8.65 बिलियन डॉलर) खर्च किए, जो 2014 के मुकाबले दोगुना है.

कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार ने उठाए यह विशेष कदम

रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा प्रत्याशियों ने चुनाव में 45-50 फीसदी राशि, वहीं कांग्रेस ने 15-20 फीसदी राशि खर्च की.

भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, 20 मई 2019 तक देशभर में 3,456.22 करोड़ रुपये की नकदी और सामान (ड्रग्स, शराब, सोना, चांदी आदि) जब्त किए गए थे.

कोरोना वायरस की लड़ाई में राजनीतिक दलों की भूमिका

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा पार्टी के 40वें स्थापना दिवस पर जारी दिशा-निर्देशों का कार्यकर्ता यदि सख्ती से पालन करते हैं, तो पार्टी पीएम केयर्स फंड में 73,800 करोड़ रुपये का भारी योगदान दे सकती है.

प्रत्येक कार्यकर्ता को कोरोना महामारी से निबटने के लिए स्थापित किए गए पीएम केयर्स फंड में 100-100 रुपये दान देने और अन्य 40 लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा गया है.

भाजपा ने पिछले साल सात करोड़ नए सदस्यों को नामांकित करने का दावा किया था. पार्टी के कुल 18 करोड़ सदस्य हैं. भाजपा नेता जेपी नड्डा ने बताया कि पार्टी के सभी सांसद और विधायक एक माह का वेतन दान देंगे.

तमिलनाडु की द्रमुक और अन्नाद्रमुक ने पार्टी ट्रस्ट से एक-एक करोड़ रुपये का दान दिया है.

देश के अधिकांश सांसदों और विधायकों ने प्रधानमंत्री राहत कोष या मुख्यमंत्री राहत कोष में एक माह का वेतन दान दिया है.

इसके अलावा डीएमके, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के भी विधायकों और सांसदों ने एक माह का वेतन दान दिया. देश के प्रत्येक जिले में लगभग सभी दलों के कार्यकर्ता मुफ्त में मास्क, खाना बांट रहे हैं.

राजनीतिक दलों का योगदान

राजनीतिक दलों ने सहायता राशि इक्ट्ठा करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं, सांसदों और विधायकों से वेतन को दान देने के लिए कहा है.

प्रत्येक राजनीतिक दल के पास बड़ा संगठनात्मक ढांचा होता है. इसमें जमीनी स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की टीमें होती हैं. बता दें कि राजनीतिक दल देश के कई संगठनों से भी ज्यादा धनवान हैं.

राजनीतिक दल चुनावों के दौरान लोगों के कल्याण, विकास करने का वादा करते हैं.

कोरोना वायरस भारत में तीव्र गति से बढ़ रहा है. इस वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल उपकरण और अन्य संबंधित मदद के साथ-साथ वित्तीय सहायता की भी जरूरत है.

कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार ने उठाए यह विशेष कदम

बता दें कि देश में इस समय यह स्थिति है कि सबसे बड़ा मतदाता समूह भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं जोड़ने में लगा हुआ है. राजनीतिक दलों का इन समूह से अर्जित आय को खर्च करने का समय आ गया है. इन दलों को जरूरत के समय आम जन की सही मायने में कल्याण करने की आवश्यकता है.

Last Updated : Apr 13, 2020, 12:39 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details