नई दिल्ली/ अम्बालाः सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया. सुषमा महज 25 वर्षों में कैबिनट मंत्री बन गई थी. इसके बाद सुषमा कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखी. सुषमा के इन सफलताओं के पीछे जनसंघ के नेता श्यामलाल बिहारी का भी हाथ है.
ईटीवी से भारत से बात करते हुए श्याम बिहारी ने बताया कि जिस वक्त सुषमा जनता दल से अम्बाला के लिए टिकट ले कर आई थी उस समय जनसंघ पार्टी के अंदर मतभेद हो गया. कुछ लोग तो सुषमा से लड़ने लगे. उनके पति कहने लगे पलवर से लड़ लो लेकिन उन्होंने कहा मैं लड़ूगी तो अम्बाला से ही.
उसके बाद मैं वहा गया और लोगों को समझाया. कि जंनसंघ है कहां वो तो अटल जी ने तोड़ दिया. लोग मान गए. सुषमा जी ने फिर जाकर अम्बाला से चुनाव लड़ी. जो इंसान जंनसंघ से चुनाव लड़ने के लिए खड़ा था वहीं बहन जी का समर्थन कर दिया. उस सीट पर जंनसंघ पार्टी से पुरुषोत्तम देशमुख चुनाव लड़ रहे थे. समर्थन के देशमुख ने बहन जी का प्रचार भी किया था.
पहली बार के चुनाव में ही सुषमा करीब 10000 हजार वोटों से चुनाव जीत लिया.
सुषमा के पिता भी RSS के नेता थे. ये कह सकते हैं कि सुषमा के अंदर पारिवारिक राजनेता के गुण थे.
सुषमा भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य भी थी. सुषमा जी का आडवाणी जी के साथ अच्छे संबंध थे.