चंडीगढ़ : बीजेपी और जेजेपी के बीच गठजोड़ से रविवार को हरियाणा में नई सरकार का गठन हो गया. मनोहर लाल खट्टर जहां लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने वहीं चौटाला विरासत की चौथी पीढ़ी यानी दुष्यंत चौटाला ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. आइए, जानतें है कि दोनों नेताओं का अब तक का राजनीतिक सफर किन राहों से गुजरा है.
सीएम मनोहर लाल का अब तक का सफर
मनोहर लाल खट्टर का जन्म निंदाना गांव में 1954 में हुआ था. उनके दादा भगवान दास खट्टर बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से आए थे. भारत आने के बाद उनके दादा और पिता हरबंसलाल खट्टर को शुरुआती दिनों में मजदूरी करनी पड़ी. बाद में उन्होंने गांव में ही एक दुकान खोली. इसके बाद उनके पिता पड़ोस के बनियानी गांव में चले गये, वहां जमीन ली और खेती करने लगे. यहां से मनोहर लाल ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की.
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10वीं कक्षा में पढ़ते हुए खट्टर बेचते थे सब्जी
खट्टर जब 10वीं कक्षा में थे तो वह रोजाना साइकिल पर सब्जी लेकर रोहतक मंडी आते और फिर वहां से गांव लौटकर स्कूल जाते. हाईस्कूल के बाद खट्टर डॉक्टरी की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन पिता चाहते थे कि वह खेती या फिर बिजनेस करें. लेकिन मनोहर लाल पिता की बात से सहमत नहीं हुए और दिल्ली अपने रिश्तेदारों के यहां चले गये. यहां रहते-रहते उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई का मोह छोड़ दिया. वहां से दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और ग्रेजुएशन किया.
कभी कपड़े की दुकान चलाते थे मनोहर लाल
खट्टर ने आजीविका के लिए रिश्तेदारों के कपड़े की दुकान पर काम सीखा और खुद की दुकान खोल ली. इसी दुकान की कमाई से उन्होंने बहन की शादी की और दो भाइयों को अपने पास बुला लिया. 1976 में इमरजेंसी के दौरान संघ से जुड़ गये और स्वयंसेवक बन गये. वह अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से इतने प्रभावित थे कि शादी न करने का मन बना लिया.
- 1980 में प्रचारक बन गये
- 1994 में उन्हें बीजेपी में भेजा गया
- 2014 के चुनाव में करनाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा
- करनाल से बड़ी जीत हासिल करने वाले मनोहर लाल को विधायक दल का नेता चुना गया और वह सीएम बने
- 2019 में मनोहर लाल खट्टर को दोबारा विधायक दल का नेता चुना गया
दुष्यंत चौटाला का अब तक का सफर
दुष्यंत चौटाला का जन्म 3 अप्रैल 1988 को हुआ. दुष्यंत चौटाला, देवीलाल चौटाला के प्रपौत्र हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिसार के हाईस्कूल से ली. इसके बाद हिमाचल प्रदेश से 10वीं की. आगे की पढ़ाई करने के लिए वह अमेरिका चले गये. 2011 में वहां से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में बीएससी की डिग्री हासिल की. 2013 में दुष्यंत के दादा ओपी चौटाला और पिता अजय चौटाला को कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा सुनाई. पिता और दादा का जेल जाना हुआ और यहीं से दुष्यंत का राजनीतिक सफर शुरू हुआ.
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चाचा से विवाद
2014 लोकसभा चुनाव में भारतीय लोक दल (इनेलो) ने दुष्यंत को हिसार लोकसभा सीट से उतारा. वो कुलदीप बिश्नोई को चुनाव हराकर 26 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे. 18 अप्रैल 2017 को दुष्यंत ने आईजी परमजीत अहलावत की बेटी मेघना से शादी की. 2018 में चौटाला परिवार की कलह इतनी बढ़ी कि इनेलो ने दुष्यंत, दिग्विजय और अजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया. 9 दिसम्बर 2018 को दुष्यंत ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की स्थापना की. 2019 लोकसभा चुनाव में दुष्यंत हिसार से खड़े हुए, लेकिन हार गए. जेजेपी के गठन के करीब 11 महीने बाद दुष्यंत की पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने में कामयाब रही और दुष्यंत जोड़-तोड़ की राजनीति में सीधे उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जा बैठे.