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जानें, सियासी हालात से गहलोत का फायदा या पायलट को नुकसान

राजस्थान में सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच मतभेद खुलकर सामने आए. हालांकि विधायक दल की बैठक में गहलोत ने 100 से ज्यादा विधायकों के मौजूद होने का दावा किया. इसके बाद माना जा रहा है कि गहलोत ने सरकार पर आए संकट को दूर कर लिया है. सवाल उठता है कि इस सियासी हलचल से किसको फायदा और नुकसान होगा. जानें राजनीतिक विशेषज्ञों से...

expert on Rajasthan political crisis
राजस्थान में घमासान

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Published : Jul 13, 2020, 1:31 PM IST

Updated : Jul 13, 2020, 5:20 PM IST

हैदराबाद : राजस्थान में सियासी स्थिति पल-पल बदल रही है. कांग्रेस में अंतर्कलह बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल फायदे और नुकसान का है, उससे भी बड़ा सवाल है कि राजस्थान में यह स्थिति पैदा ही क्यों हुई कि सचिन पायलट को बगावती तेवर अपनाने पड़े.

क्या कांग्रेस ने सचिन पायलट को इस मुकाम पर पहुंचा दिया कि उनको अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अपनाना पड़ा. जैसा कि सचिन पहले से यह इशारा देते रहे हैं कि वह अशोक गहलोत से नाराज हैं, लेकिन वह पार्टी को तोड़ना नहीं चाहते और भाजपा में शामिल नहीं होना चाहते.

राजस्थान के सियासी संग्राम पर विशेषज्ञों की राय

राजस्थान की सियासत पर नजर रखने वाले इस बात को तस्दीक करते हैं कि इस महासंकट के बाद नुकसान कांग्रेस को हुआ है और फायदे में बीजेपी रही है. पार्टी के अन्दर जो अंतर्विरोध था, वह खुलकर सामने आ गया है. एक बात और मजबूती के साथ सामने आई है कि कांग्रेस ने राजस्थान की स्थिति को समझने में विलम्ब किया.

पढ़ें -विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे पायलट, कहा- अल्पमत में गहलोत सरकार

राजस्थान के महासंकट पर ईटीवी भारत ने विशेष परिचर्चा की. जिसमें बीबीसी के पूर्व पत्रकार नारायण बारेट, राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भंडारी और ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन शामिल हुए. परिचर्चा का संचालन ईटीवी भारत राजस्थान के ब्यूरो चीफ अश्वनी पारीक ने किया.

Last Updated : Jul 13, 2020, 5:20 PM IST

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