नई दिल्ली : डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पोलियो निगरानी नेटवर्क (polio surveillance network) कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को मजबूत करने में काफी मदद कर रहा है.
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में कोविड-19 प्रकोप के कुछ हफ्तों के भीतर ही पांच पोलियो प्राथमिकता वाले देशों में निगरानी और टीकाकरण के लिए इस नेटवर्क को सभी तैयारियों के साथ तैयार किया गया था.
उन्होंने कहा कि यह नेटवर्क सबसे पिछड़ी आबादी और क्षेत्रों में काम करते हुए, स्वास्थ्य अधिकारियों की मरीजों का पता लगाने, परीक्षण, ट्रैक, अलगाव करने और यहां तक कि पर्याप्त समय पर उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों को तैयार करने में मदद कर रहा है.
राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर समन्वय की सहायता से, प्रयोगशालाओं और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण और निर्माण क्षमता, मामलों का पता लगाने, संपर्कों का पता लगाने और अस्पताल की तत्परता और तैयारियों के लिए सार्वजनिक धारणाओं का आकलन करने के लिए, डब्ल्यूएचओ का पोलियो निगरानी नेटवर्क बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, म्यांमार और नेपाल में रणनीति और पहल का समर्थन कर रहा है.
इस नेटवर्क को वर्षों तक रिफाइन किया गया है और इसने मार्च 2014 में क्षेत्र को पोलियो-मुक्त प्रमाणीकरण प्राप्त करने में मदद की थी.
पोलियो माइक्रो-प्लान का उपयोग करते हुए भारत के सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश में निगरानी चिकित्सा अधिकारियों की टीम इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षणों वाले लोगों की पहचान करने के लिए हर घर की निगरानी की.
क्षेत्रीय निदेशक ने भारत में पोलियो नेटवर्क के समर्थन के कई उदाहरणों में से एक का हवाला देते हुए कहा कि इस टीम ने राज्य के सभी 75 जिलों के 208 मिलियन लोगों को कवर किया.
पिछले तीन महीनों में दो बार किए गए इस अभ्यास ने हर बार लक्षणों वाले 100,000 से अधिक लोगों की पहचान करने में मदद की. इसके बाद इन लोगों का कोविड टेस्ट करवाया गया.
बांग्लादेश में पोलियो निगरानी नेटवर्क ने 17,000 स्वास्थ्य कर्मचारियों और प्रयोगशाला कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है.