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जानें फर्जी समाचारों से निपटने के लिए किस देश ने क्या उपाय अपनाए - फर्जी समाचार

फर्जी समाचार की समस्या हर रोज गंभीर होती जा रही है. सोशल मीडिया के अभिशापों में यह सबसे ऊपर है. दुनिया के कई देशों में इसके खिलाफ कानून लाए गए हैं. इनमें चीन, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्वीडेन, सिंगापुर, कनाडा, बेल्जियम, इटली और मलेसिया जैसे देश शामिल हैं. हालांकि, अभी तक हमारे देश में इससे निपटने के लिए कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया है.

policies against fake news
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Published : Nov 19, 2020, 6:38 PM IST

हैदराबाद: सोशल मीडिया ने एक तरफ जहां लोगों को जोड़ा है, वहीं इन प्लेटफॉर्मों पर फर्जी खबरें भी खूब पनपी हैं. हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से जवाब मांगा कि उसने फर्जी समाचारों/जानकारियों से निपटने के लिए कौन सा तंत्र तैयार किया है.

यह बात किसी से नहीं छुपी है कि फर्जी खबरों के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है. आइये एक नजर डालते हैं कि किन देशों में इसको लेकर कानून हैं और हमारा देश उनसे क्या सीख सकता है.

फ्रांस
1881 के प्रेस की स्वतंत्रता कानून के मुताबिक फ्रांस में समाज में अशांति फैलाने के उद्देश्य से फर्जी समाचार प्रकाशित और प्रसारित करना गैर कानूनी है.

यह कानून नवंबर 2019 में पारित हुआ था. इसमें फर्जी समाचार को परिभाषित किया गया है. फर्जी समाचार वह है जिसमें गलत आरोप, तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाले समाचार, जिनका उद्देश्य मतों को प्रभावित करना है. इसको चुनाव के दौरान मडिया की कवरेज (खासकर चुनाव के तीन माह पहले की कवरेज) पर सख्त कानून लागू करने लिए बनाया गया है.

इसके तहत प्राधिकारियों के पास अधिकार होते हैं कि वह सोशल मीडिया द्वारा फैलाए गए किसी भी फर्जी समाचार को हटा सके. यही नहीं वह फर्जी समाचार प्रकाशित करने वाली साइट को ब्लॉक भी कर सकते हैं. इसके तहत प्रायोजित सामग्री के लिए किए गए वित्तीय लेनदेन में भी पारदर्शिता लाई गई है.

इसके अलावा इस कानून में प्रावधान हैं कि वह फ्रांस में चल रहे टीवी और रेडियो चैनलों के प्रसारण के अधिकारों को भी रद्द कर सकते हैं.

सिंगापुर
मई 2019 में सिंगापुर में ऑनलाइन फर्जी सूचना को प्रसारित करने को गैरकानूनी बनाने के लिए कानून लाया गया था. इसके तहत सिंगापुर की सुरक्षा और लोगों की सुरक्षा पर खतरा पैदा करने वाले, सामाजिक अशांति फैलाने वाले और अन्य देशों के साथ रिश्तों को प्रभावित करने वाले फर्जी समाचारों का प्रकाशन गैरकानूनी है. दोषियों पर भारी फाइन लगाया जाता है और उन्हें जेल तक हो सकती है.

यूनाइटेड किंगडम
फर्जी समाचार की समस्या के निदान पर विचार करने के बाद संसद की डिजिटल, संस्कृति, मीडिया और खेल समिति ने 2018 में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. इसके तहत ऑनलाइन समाचारों पर भी पारंपरिक मीडिया के नियम लागू होंगे. इसके अलावा रिपोर्ट में एक समूह के गठन का सुझाव दिया गया था, जो फर्जी समाचार कैसे फैलता है, इसपर शोध करेगा.

इसके अलावा ब्रिटेन की सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कि एक संचार इकाई भी स्थापित की है. इसका कार्य देश के भीतर या बाहर से आ रहे फर्जी जानकारी या समाचार से निपटना है. यह निर्णय उस समय लिया गया था जब रूस द्वारा फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के बारे में फर्जी जानकारी फैलाए जाने की जांच हो रही थी.

स्वीडेन
स्वीडेन में संगठनों द्वारा इसे स्व-विनियमित करने और नैतिक मूल्यों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

जर्मनी
जर्मनी में 2017 में नेटवर्क प्रवर्तन अधिनियम लागू किया गया था. इसके तहत सोशल मीडिया को लेकर कोई नई नीति नहीं बनाई गई है. हालांकि, मौजूदा कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाता है. इसके अलावा यह गैरकानूनी कटेंट को हटाने और उस मामले में जांच के अधिकार भी देता है.

कनाडा
2019 में सरकार ने एक डिजिटल चार्टर की घोषणा की थी. इसमें कहा गया था कि कनाडा सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करेगी और चुनावों और लोकतांत्रिक संस्थानों की अखंडता को खतरे में डालने वाले ऑनलाइन खतरों और विघटन से रक्षा करेगी.

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि यह फर्जी समाचारों और अभद्र भाषा को लक्षित कर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को उनकी भूमिका के लिए जिम्मेदार बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि फर्जी समाचारों को फैलने से रोका जा सके.

जस्टिन ट्रूडो ने यह भी कहा कि इसका पालन न करने वलों को जुर्माना भरना पड़ेगा. हालांकि, इसमें जुर्माने की प्रक्रिया और फर्जी समाचारों को परिभाषित नहीं किया गया है.

बेल्जियम
मई 2018 की शुरुआत में, डिजिटल एजेंडा के लिए बेल्जियम के मंत्री अलेक्जेंडर डे क्रो ने गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से दो पहलुओं की घोषणा की.

पहली में सरकार ने पत्रकारों और विद्वानों के एक विशेषज्ञ समूह की स्थापना की और उनसे समस्या का समाधान प्रसुस्त करने को कहा. इसके बाद सरकार ने एक वेबसाइट बनाई, जिसमें लोग फर्जी समाचारों के समाधान की समीक्षा कर सकते थे. इसके अलावा ब्रसल्स में इस पर डिबेट भी हुआ था.

इटली
इटली की सरकार ने जून 2018 में एक पोर्टल शुरू किया था, जिसपर लोग फर्जी समाचारों के खिलाफ पुलिस से शिकायत कर सकते थे. फर्जी समाचार रिपोर्ट करने के लिए लोगों को अपना ई-मेल, समाचार की लिंक और वह समाचार किस प्लेटफॉर्म पर था, कि जानकारी देनी होती है और रिपोर्ट पुलिस तक पहुंच जाती है.

पुलिस की विशेष इकाई मामले की जांच करके मामले में उचित कार्रवाई करेगी.

मलेशिया
अप्रैल 2018 में मलेशिया ने फर्जी समाचार के प्रसार को गैरकानूनी बना दिया. वह ऐसा करने वाला पहला दक्षिण एशियाई देश था. सरकार द्वारा एक वेब पोर्टल शुरू किया गया है, जहां लोग फर्जी समाचार रिपोर्ट कर सकते हैं.

रूस
रूस ने 2019 में फर्जी समाचारों के प्रसार को गैरकानूनी घोषित कर दिया था. सरकार ने इन समाचारों को परिभाषित करते हुए कहा कि समाजिक रूप से महत्वपूर्ण गलत जानकारी जिसे जीवन, स्वास्थ्य या संपत्ति को खतरे में डालने के उद्देश्य से सच की तरह प्रस्तुत किया गया हो या सार्वजनिक व्यवस्था या सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालना या परिवहन, क्रेडिट संस्थान, संचार की लाइनें, उद्योग, ऊर्जा उद्यम और सामाजिक बुनियादी ढांचे के काम में बाधा डालना.

कानूनों में ऑनलाइन मीडिया, समाचार एग्रीगेटर्स और व्यक्तिगत सोशल नेटवर्क उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रकाशित समाचारों के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं.

चीन
चीन में फर्जी सूचना को रोकने के लिए सबसे सख्त कानून है. 2016 में सरकार ने आर्थिक व सामाजिक ताने बाने को खतरे में डालने वाली फर्जी जानकारी के प्रकाशन को आपराधिक कृत्य घोषित कर दिया था.

2017 के एक कानून के मुताबिक सोशल मीडिया पर सिर्फ पंजीकृत समाचार संस्था की खबरों को प्रकाशित किया जा सकता है.

चीनी सरकार ने 'रीफ्यूटिंग रूमर' नाम का एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है जो सरकारी मीडिया द्वारा दी गई 'सच्ची' खबर को प्रकाशित करता है. इसको लेकर चीन ने एक एप भी लॉन्च किया है, जिसका अकाउंट सभी सोशल मीडिया पर उपलब्ध है और उसका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने आप फर्जी समाचारों को पकड़ लेता है और साथ ही सरकारी मीडिया कि खबरों को भी प्रकाशित करता है.

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