नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन के दौरे पर जा रहे हैं. खास बात यह है कि इन तीनों देशों ने कश्मीर मसले पर खुलेआम भारत का समर्थन किया है. प्रधानमंत्री के इसे दौरे का पहला पड़ाव फ्रांस होगा, जिसने कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का समर्थन किया है.
दौरा आरंभ करने से पहले मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की. इससे पहले शुक्रवार को कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने क्लोज्ड डोर बैठक (स्थायी सदस्य देशों के बीच गुप्त बैठक) में भारत के कदमों का समर्थन किया. अमेरिका, फ्रांस और रूस ने कश्मीर मसले पर भारत के रुख का समर्थन किया.
मोदी 22 अगस्त से फ्रांस के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर होंगे. इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ उनकी वार्ता के एजेंडा में रक्षा सहयोग, आण्विक ऊर्जा, समुद्री सहयोग और आतंकवाद रोधी उपाय शीर्ष पर होंगे.
भारत द्वारा करीब 60,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल विमानों की खरीद का सौदा पूरा हो गया है और इस सौदे के तहत जेट विमानों की पहली खेप इस साल भारत आने वाली है.
प्रधानमंत्री फ्रांस से यूएई और बहरीन जाएंगे. वह इन दोनों देशों के द्विपक्षीय दौरे पर जा रहे हैं. इसके बाद 25 अगस्त को प्रधानमंत्री समूह-7 (जी-7) शिखर सम्मेलन के लिए फिर वापस फ्रांस के बियारिट्ज नगर लौटेंगे जहां भारत का साझेदार देश के रूप में आमंत्रित किया गया है.
द्विपक्षीय दौरे के दौरान मोदी फ्रांस के प्रधानमंत्री एडवर्ड चार्ल्स फिलिप से भी मुलाकात करेंगे.
सचिव (आर्थिक संबंध) टी. एस. त्रिमूर्ति ने कहा कि उम्मीद है कि मोदी और मैक्रों दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूती प्रदान करेंगे. साथ ही, बातचीत के दौरान भविष्य में रक्षा खरीद, जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की प्रगति के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उनकी प्राथमिकताएं भी शामिल होंगी.
इसके अलावा, वे आतंकरोधी उपायों में सहयोग, साइबर सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संधि और संयुक्त विकास परियोजनाओं पर भी बातचीत हो सकती है.