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पिछली सरकार की रफ्तार से काम होता तो 2040 में तैयार होती अटल टनल : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में बनी दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी अटल टनल सुरंग का उद्घाटन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था. वाजपेयी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया. हालात यह थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था.

Prime Minister Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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Published : Oct 3, 2020, 1:30 PM IST

Updated : Oct 3, 2020, 2:35 PM IST

मनाली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में बनी दुनिया की सबसे लंबी अटल सुरंग का उद्घाटन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था. उनकी सरकार जाने के बाद यह काम भुला दिया गया. यदि यह उसी रफ्तार में होता तो यह टनल 2040 तक पूरी हो पाती.

पीएम ने कहा कि देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं है. पीएम ने कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है.

पीएम ने हिमाचल के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल को भी याद किया और अनुराग ठाकुर को हिमाचल का छोकरा बताया. मंच से अपने संबोधन के दौरान जब पीएम नरेंद्र मोदी ने अनुराग ठाकुर का नाम लिया तो मुस्कुराते हुए उन्हें म्हारो हिमाचल नो छोकरो बताया.

कार्यक्रम को संबोधित करते पीएम मोदी

इस टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी. पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है.

हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है, लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए.

साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था. अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया. हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था.

पीएम मोदी ने सांझा की अटल स्मृतियां

एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो यह सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती. आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में यह दिन आता, उनका सपना पूरा होता.

जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है. अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई.

नतीजा यह हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई. सिर्फ छह साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया.

पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब संगठन का काम देखता था तो अटल जी यहां आते थे. एक दिन मैं और धूमल जी इस बात को लेरकर उनके पास गए. हमारा सुझाव अटल जी का सपना बन गया. हम इसे समृद्धि के रूप में देख रहे हैं.

अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया. लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही. क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता.

अटल जी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है- कोसी महासेतु का. बिहार में कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटल जी ने ही किया था. 2014 में सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया. कुछ दिन पहले ही कोसी महासेतु का भी लोकार्पण किया जा चुका है.

बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है. सड़क बनाने का काम हो, पुल बनाने का काम हो, सुरंग बनाने का काम हो, इतने बड़े स्तर पर देश में पहले कभी काम नहीं हुआ. इसका बहुत बड़ा लाभ सामान्य जनों के साथ ही हमारे फौजी भाई-बहनों को भी हो रहा है.

पढ़ें - पीएम मोदी बोले- देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं

हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं. देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नही. लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया.

देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र बने, मेक इन इंडिया हथियार बनें, इसके लिए बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं. लंबे इंतज़ार के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अब हमारे सिस्टम का हिस्सा है. देश की सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार दूतकार्य और उत्पादन दोनों में बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है.

Last Updated : Oct 3, 2020, 2:35 PM IST

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