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कृषि कानून को पीएम ने बताया ऐतिहासिक, बोले- सदी बदल गई, सोच नहीं बदली - सोलंगनाला में पीएम मोदी की जनसभा

पीएम मोदी ने शनिवार को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रोहतांग टनल का उद्घाटन करने के बाद लाहौल स्पीति में एक जनसभा को संबोधित किया. पीएम मोदी ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किए जा रहे प्रदर्शनों पर विपक्ष की आलोचना की है. पीएम ने कहा कि विरोधी सार्थक बदलवा के खिलाफ जितनी भी राजनीति कर लें ये देश रुकने वाला नहीं है.

पीएम मोदी
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Published : Oct 3, 2020, 5:53 PM IST

Updated : Oct 3, 2020, 8:11 PM IST

शिमला : कृषि बिलों को लेकर पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं. कृषि बिल के विरोध में जहां एक और केंद्र सरकार में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था. वहीं, विपक्ष भी लगातार इस बिल का विरोध कर रहा है. राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम नेता इस बिल को काला कानून बता रहे हैं.

विपक्ष के विरोध के बाद पीएम मोदी ने शनिवार को सोलंगनाला में जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष समेत कृषि बिलों का विरोध कर रही पार्टियों पर निशाना साधा. ये पहली बार है कि कृषि बिल पर मचे बवाल पर पीएम ने सार्वजनिक मंच से कोई टिप्पणी की हो.

पीएम मोदी ने मंच से कहा कि देश में किए जा रहे सुधारों ने ऐसे लोगों को परेशान कर दिया है, जिन्होंने हमेशा अपने राजनीतिक हितों के लिए काम किया. सदी बदल गई, लेकिन इनकी सोच नहीं बदली. अब सदी बदल गई है. सोच भी बदलनी है. नई सदी के हिसाब से देश को भी बदलकर बनाना है. आज इनके बनाए गए बिचौलिया और दलाली तंत्र पर प्रहार हो रहा है तो ये बौखला गए हैं.

पीएम मोदी का विपक्ष पर वार

पीएम ने कहा कि देश में बिचौलियों को बढ़ावा देने वालों ने इस देश की स्थिति क्या कर दी थी? ये आपको भी मालूम है. हिमाचल देश के सबसे बढ़े फल उत्पादक राज्यों में से एक है. यहां की उगने वाली सब्जियां देश के कई शहरों की जरूरतों को पूरा करती हैं, लेकिन आज तक स्थिति क्या रही है.

हिमाचल के सेब 40-50 रुपये में खरीदा जाता है. वही सेब दिल्ली में लोगों के घरों तक 100 से 150 रुपये में पहुंचता है. इस 100 रुपये का हिसाब न तो खरीददार और ना ही बागवान को मिला. इससे किसान और खरीददार दोनों का नुकसान होता था.

पीएम मोदी का विपक्ष पर वार

पीएम ने कहा कि हिमाचल का बागवान जानता है कि जैसे ही सेब का सीजन पीक पर पहुंचेगा, कीमतें धड़ाम से नीचे गिर जाती हैं. इसका सबसे ज्यादा असर छोटे बागवानों पर पड़ता है. कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने वाले कहते हैं कि यथास्थिति को बनाए रखो. पिछली सदी में जीना है जीने दो, लेकिन देश आज परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है. इसीलिए कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कानूनों में ऐतिहासिक सुधार किया गया है. इस सुधार के बारे में उन्होंने (विपक्षी पार्टियां) ने भी सोचा था, लेकिन उनमें हिम्मत की कमी थी. उनके लिए चुनाव सामने थे. हमारे लिए देश और किसान सामने हैं. इसलिए हम फैसले लेकर किसान को आगे ले जाना चाहते हैं.

बागवान छोटे-छोटे समूह बनाकर अपने सेब दूसरे राज्यों में सीधे बेचना चाहें तो उन्हें ये आजादी मिल गई है. उन्हें अगर पहले की व्यवस्था से फायदा मिलता है तो उनके पास वो विकल्प भी हैं. पुराने विकल्प को किसी ने समाप्त नहीं किया है. हर प्रकार से किसानों-बागवानों को लाभ पहुंचाने के लिए ही ये सुधार किए गए हैं. केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने, खेती से जुड़ी उनकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबध है.

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पीएम ने कहा कि सुधारों का सिलसिला लगातार चलता रहेगा. पिछली शताब्दी के नियम कानूनों से अगली शताब्दी में नहीं पहुंच सकते हैं. समाज और व्यवस्थाओं में सार्थक बदलाव के खिलाफ विरोधी जितनी भी स्वार्थ की राजनीति कर लें ये देश रुकने वाला नहीं है. देश के हर युवा के सपने और अकांक्षाएं हमारे लिए सर्वोपरी हैं. उसी संभावनाओं को लेकर हम देश को नई उंचाइयों पर ले जाने में प्रयासरत हैं.

बता दें कि संसद के मानसून सत्र में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है. इन पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग चुकी है. ये तीनों बिल कोरोना काल में 5 जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे.

Last Updated : Oct 3, 2020, 8:11 PM IST

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