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दो संस्थानों का हुआ उद्घाटन, पीएम बोले- आरोग्य नीति का प्रमुख हिस्सा है आयुर्वेद - आयुर्वेद दिवस

आयुष मंत्रालय 2016 से ही धन्वंतरि जयंती के मौके पर हर साल आयुर्वेद दिवस मनाता आ रहा है. पांचवें आयुर्वेद दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो आयुर्वेद संस्थानों- गुजरात के जामनगर स्थित आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को राष्ट्र को समर्पित किया.

प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी

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Published : Nov 13, 2020, 11:34 AM IST

Updated : Nov 13, 2020, 2:42 PM IST

नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पांचवें आयुर्वेद दिवस पर दो आयुर्वेद संस्थानों- गुजरात के जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को राष्ट्र को समर्पित किया. उन्होंने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद देश की आरोग्य नीति का प्रमुख हिस्सा है.

पीएम ने किया दो संस्थानों का उद्घाटन

पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना से मुकाबले में आयुर्वेद कारगर उपाय सिद्ध हुआ है. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत हॉलिस्टिक तरीके से सोचता है. कोरोना से जुड़े आर्थिक पहलू का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग बढ़ी है.

पीएम मोदी ने कहा कि इस बार का आयुर्वेद दिवस गुजरात और राजस्थान के लिए विशेष है. ये हमारे युवा साथियों के लिए भी विशेष है.

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद भारत की एक विरासत है, जिसके विस्तार में पूरी मानवजाति की भलाई है. आज ब्राजील की राष्ट्रीय नीति में आयुर्वेद शामिल है.

बकौल पीएम मोदी, 'बदलते समय के साथ आज हर चीज इंटीग्रेट हो रही है. स्वास्थ्य भी इससे अलग नहीं है. इसी सोच के साथ देश आज इलाज की अलग-अलग पद्धतियों के इंटीग्रेशन के लिए एक के बाद एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. इसी सोच ने आयुष को देश की आरोग्य नीति का अहम हिस्सा बनाया है.'

भारतीय पुरातन काल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'ये हमेशा से स्थापित सत्य रहा है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है. लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में. इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है.'

उन्होंने कहा कि देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई रिसर्च की जा रही है. तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी.

पीएम मोदी ने कहा, 'कहते हैं कि जब कद बढ़ता है तो दायित्व भी बढ़ता है. आज जब इन दो महत्वपूर्ण संस्थानों का कद बढ़ा है, तो मेरा एक आग्रह भी है. अब आप सब पर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी है जो इंटरनेशनल के अनुकूल और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप हो.'

उन्होंने कहा, 'मुझे विश्वास है कि हमारे साझा प्रयासों से आयुष ही नहीं बल्कि आरोग्य का हमारा पूरा सिस्टम एक बड़े बदलाव का साक्षी बनेगाइसी साल संसद के मानसून सत्र में दो ऐतिहासिक आयोग भी बनाए गए हैं.'

- नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (National Commission for Indian System of Medicine)

- नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी (National Commission for Homeopathy)

पीएम मोदी ने कहा, 'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत की मेडिकल एजुकेशन में इंटीग्रेशन की एप्रोच को प्रोत्साहित किया गया है.' उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं, हॉलिस्टिक तरीके से सोचता है.

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों को भी अब हॉलिस्टिक एप्रोच के साथ उसी तरीके से ही सुलझाया जा रहा है. आज देश में सस्ते और प्रभावी इलाज के साथ साथ प्रीवेंटिव हेल्थकेयर वेलनेस (Preventive healthcare wellness) पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है.

बकौल पीएम मोदी, 'कोरोना से मुकाबले के लिए जब कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, काढ़ा, दूध जैसे अनेक इंम्यूनिटी बूस्टर जैसे उपाय बहुत काम आए. इतनी बड़ी जनसंख्या वाला हमारा देश अगर आज संभली हुई स्थिति में है तो उसमें हमारी इस परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है.'

पीएम ने कहा, 'आज एक तरफ भारत जहां वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ कोविड से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक रिसर्च पर भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को तेजी से बढ़ा रहा है.' उन्होंने कहा कि इस समय 100 से ज्यादा स्थानों पर रिसर्च चल रही है.

उन्होंने कहा कि बीते साल की तुलना में इस साल सितंबर में आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात करीब डेढ़ गुना बढ़ा है. मसालों के निर्यात में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है.

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है. किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है. पीएम मोदी ने कहा, गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ)ने ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (Global Centre for Traditional Medicine) की स्थापना के लिए भारत को चुना है.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से भारतीय आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्‍थान (ITRA), जामनगर और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (NIA), जयपुर को राष्ट्र को समर्पित किया है.

गुजरात मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि धनतेरस के दिन नरेंद्र मोदी ने गुजरात को नई भेंट दी है. उन्होंने कहा आयुर्वेद का महत्व हम सब जानते है. आयुर्वेद इम्यूनिटी को बूस्ट करता है. आने वाले दिनों में आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्‍थान से लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

इससे पहले आयुष मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार दोनों ही संस्थान देश में आयुर्वेद के प्रतिष्ठित संस्थान हैं. जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान को संसद के कानून के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) का दर्जा प्रदान किया गया है जबकि जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को विश्वविालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया है.

गौरतलब है कि आयुष मंत्रालय 2016 से ही धन्वंतरि जयंती के मौके पर हर साल आयुर्वेद दिवस मनाता आ रहा है. मंत्रालय के अनुसार संसद के कानून से हाल ही में बने जामनगर का आईटीआरएस विश्वस्तरीय स्वास्थ्य देखभाल केंद्र के रूप में उभरने वाला है. उसमें 12 विभाग, तीन क्लीनिकल प्रयोगशालाएं और तीन अनुसंधान प्रयोगशालाएं हैं .

अनुसंधान में अग्रणी है जामनगर का आईटीआरएस

जामनगर स्थित आईटीआरएस पारंपरिक दवा के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य में अगुवा भी है, फिलहाल यहां 33 परियोजनाएं चल रही है. आईटीआरए को गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर के चार आयुर्वेदिक संस्थानों को मिलाकर बनाया गया है. यह आयुष के क्षेत्र में पहला संस्थान है जिसे आईएनआई दर्जा प्रदान किया गया.

उन्नत दर्जे के बाद आईटीआरए को आयुर्वेद शिक्षा के मानक को अद्यतन करने की स्वायत्तता होगी, क्योंकि यह आधुनिक, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पाठ्यक्रम चलाएगा. साथ ही यह आयुर्वेद को समसामयिक बल देने के लिए अंतर-विषयक सहयोग कायम करेगा.

175 साल की धरोहर है एनआईए जयपुर

बयान के अनुसार जयपुर के एनआईए को मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है. 175 साल के धरोहर वाले एनआईए का पिछले कुछ दशकों से आयुर्वेद के संरक्षण, संवर्धन और प्रमाणन को आगे बढ़ाने में योगदान अहम रहा है. फिलहाल उसमें 14 विभिन्न विभाग हैं.

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संस्थान में विद्यार्थी-अध्यापक अनुपात बहुत अच्छा है , 2019-20 में यहां 955 विद्यार्थी और 75 अध्यापक हैं. यहां प्रमाणपत्र से लेकर डॉक्टरेट तक की डिग्रियां दी जाती हैं. अत्याधुनिक प्रयोगशाला सुविधाओं के साथ एनआईए अनुसंधान गतिविधियों में अग्रणी रहा है. फिलहाल यहां 54 विभिन्न अनुसंधान परियोजनाएं चल रही है. मानद विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने से एनआईए तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उच्च मानक हासिल करके नयी ऊंचाइयों पर पहुंचने जा रहा है.

Last Updated : Nov 13, 2020, 2:42 PM IST

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