नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र में जनसभा को संबोधित कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज मैं एक विशेष धन्यता अनुभव कर रहा हूं और मैं इसे अपने जीवन का बहुमूल्य पल मानता हूं.
उन्होंने कहा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज छत्रपति उदयन ने मेरे सिर पर एक छत्र रखा है. ये सम्मान भी है और छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति दायित्व का भी प्रतीक है.
जानें प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का सिलसिलेवार ब्यौरा:
- महाराष्ट्र की इस धरती ने वीर सावरकर जी जैसे महान सपूत को जन्म दिया है, स्वतंत्रता के लिए हर यातना को मुस्कुरा कर सहने वाले सावरकर जी ने हमे राष्ट्रवाद के अभूतपूर्व संस्कार दिए हैं.
- छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य का संकल्प लेकर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने का आदर्श हमारे सामने रखा था.
- ये दुर्भाग्य है कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता गलत बयान दे रहे हैं. उन्हें पड़ोसी देश अच्छा लगता है. वहां के शासक-प्रशासक उनको कल्याणकारी लगते हैं. लेकिन पूरा महाराष्ट्र, पूरा भारत जानता है और पूरी दुनिया जानती है कि आतंक की फैक्ट्री कहां पर है.
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नई संभावनाओं को गले लगा रहा है लेकिन विपक्ष के साथी इसमें भी राजनैतिक स्वार्थ ढूंढ रहे हैं. दुर्भाग्य है कि इस फैसले के बाद कांग्रेस, NCP के वरिष्ठ नेताओं को जिस तरह का बर्ताव और सहयोग करना चाहिए था, वैसा दिख नहीं रहा.
- देश को एहसास है कि इस फैसले की आड़ में अस्थिरता और अविश्वास फैलाने की तमाम को कोशिशें सीमा पार से हो रही हैं. जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़काने की भरपूर कोशिश हो रही है. लेकिन जम्मू कश्मीर की आवाम इस हिंसा से बाहर निकलने का मन बना चुकी है.
- कल तक हम कहते थे - कश्मीर हमारा है, अब हर हिंदुस्तानी कहेगा, हमें नया कश्मीर बनाना है, हर कश्मीरी को गले लगाना है और हमें वहां फिर से स्वर्ग बनाना है.
- जम्मू कश्मीर में भारत के संविधान को समग्रता से लागू करना सिर्फ एक सरकार का फैसला नहीं है, ये 130 करोड़ भारतीयों की भावना का प्रकटीकरण है.
- हमने पूरे देश से वादा किया था कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख की समस्याओं के समाधान के लिए नए प्रयास करेंगे. आज मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि देश उस सपनों को साकार करने की दिशा में चल पड़ा है.
- पहले शतक में देश, समाज और दुनिया में नए भारत के नए दृष्टिकोण की झलक है. कठिन चुनौतियों से टक्कर की ललक भी है, विकास का जोश भी है और भारत की वैश्विक ताकत का सन्देश भी है. केंद्र में नई सरकार को बनें 100 दिन पूरे हो चुके हैं और इस सरकार का पहला शतक आपके सामने है.
- इस शतक में धार भी है, रफ्तार भी है और आने वाले 5 वर्षों की साफ सुथरी तस्वीर भी है.
- जब लोकसभा का चुनाव हुआ, तो 60 साल के बाद पहली बार एक सरकार दोबारा चुनकर आई और पहले से ज्यादा बहुमत के साथ चुनकर आई. जब आप ताकत देते हैं तो सरकार कैसे काम करती है, हमारी सरकार के प्रथम 100 दिन का कार्यकाल इसका उदाहरण है.
- देवेंद्र जी को 5 साल पहले आपने जो जिम्मेदारी दी थी उसका रिपोर्ट कार्ड उन्होंने आपके सामने रखा है.
- बीते 5 साल में महाराष्ट्र को स्थिरता मिली, विकास मिला, कानून-व्यवस्था का विश्वास मिला, सामाजिक सद्भाव मिला, सहकार और सरोकार का भाव भी मिला.
- देवेंद्र जी ने 5 वर्ष अखंड और अविरत साधना करके महाराष्ट्र की सेवा की और राज्य को नई दिशा दी.
- अब महाराष्ट्र की जिम्मेवारी है की फिर एक बार देवेंद्र जी के नेतृत्व में स्थिर राजनीति का फायदा उठाना चाहिए.
- पहले की सरकारों में राजनीतिक अस्थिरता के कारण महाराष्ट्र जिस तेजी से आगे बढ़ना चाहिए था, उस तेजी से आगे नहीं बढ़ा.
- मुंबई महानगरी की चकाचौंध में महाराष्ट्र के दूर दराज के क्षेत्र, वहां के गरीब, किसान राजनीतिक अस्थिरता के शिकार हो गए.
- जब लोकसभा चुनाव चरम पर था, तब मैं डिंडोरी में एक सभा करने आया था. उस सभा में ऐसा जनसैलाब उमड़ा था कि उसने पूरे देश में चल रही भाजपा की लहर को और प्रचंड बना दिया था. आज नासिक की ये रैली और भी आगे निकल गई है. इतना ज्यादा जनसैलाब आज उमड़ा है.
- आज मैं एक विशेष धन्यता अनुभव कर रहा हूं और मैं इसे अपने जीवन का बहुमूल्य पल मानता हूं. आज छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज छत्रपति उदयन ने मेरे सिर पर एक छत्र रखा है. ये सम्मान भी है और छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति दायित्व का भी प्रतीक है.
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जब लोकसभा चुनाव चरम पर था, तब मैं डिंडोरी में एक सभा करने आया था. उस सभा में ऐसा जनसैलाब उमड़ा था कि उसने पूरे देश में चल रही भाजपा की लहर को और प्रचंड बना दिया था. आज नासिक की ये रैली और भी आगे निकल गई है. इतना ज्यादा जनसैलाब आज उमड़ा है.
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पहले की सरकारों में राजनीतिक अस्थिरता के कारण महाराष्ट्र जिस तेजी से आगे बढ़ना चाहिए था, उस तेजी से आगे नहीं बढ़ा. मुंबई महानगरी की चकाचौंध में महाराष्ट्र के दूर दराज के क्षेत्र, वहां के गरीब, किसान राजनीतिक अस्थिरता के शिकार हो गए.
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देवेंद्र जी ने 5 वर्ष अखंड और अविरत साधना करके महाराष्ट्र की सेवा की और राज्य को नई दिशा दी.
अब महाराष्ट्र की जिम्मेवारी है की फिर एक बार देवेंद्र जी के नेतृत्व में स्थिर राजनीति का फायदा उठाना चाहिए.