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जानिए पीएम मोदी का डॉल्फिन प्रोजेक्ट, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन को लॉन्च करने का ऐलान किया. साथ ही कहा कि, हम नदी और समुद्री डॉल्फिन दोनों पर ध्यान केंद्रित करेंगे. ये बायो डायवर्सिटी को मजबूत करेगा, रोजगार के अवसर पैदा करेगा और पर्यटन को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा.

Project Dolphin
प्रोजेक्ट डॉल्फिन को लॉन्च करने का ऐलान

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Published : Aug 15, 2020, 7:17 PM IST

नई दिल्ली: गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन (गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन) को राष्ट्रीय जलीय जंतु घोषित किए जाने के एक दशक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' की घोषणा की. इसमें प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट की तर्ज पर डॉल्फिन प्रजाति के संरक्षण पर जोर दिया गया है.

मंत्रालय ने कहा कि, इसकी परिकल्पना संरक्षण संबंधी चिंताओं को दूर करने और नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए नदी पर निर्भर आबादी जैसे हितधारकों को सशक्त बनाने और वैज्ञानिक रूप से उन्मुख संरक्षण विधियों के माध्यम से स्थायी मत्स्य पालन और नदी आधारित अन्य आजीविका विकल्पों को अनुमति देने को लेकर की गई है.

'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' भी करेंगे लॉन्च
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा कि, 'हम समुद्र और गंगा की डॉल्फिन की रक्षा के लिए 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' भी लॉन्च करेंगे.' पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के नेतृत्व में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 10 साल की परियोजना गैंगेटिक डॉल्फिन को लॉन्च करने की विस्तृत योजना बनाई है.

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गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन भारत, नेपाल और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली नदी प्रणाली में पाई जाती है. प्लैटनिस्टा गैंगेटिका मीठे पानी की डॉल्फिन की एक प्रजाति है, जो मुख्य रूप से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों और भारत, बांग्लादेश और नेपाल में उनकी सहायक नदियों में पाई जाती है.

यहां देखी गई गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन
भारत में इन डॉल्फिन को असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में गहरी नदी के किनारे देखा जाता है. उपलब्ध मूल्यांकन रिपोटों के अनुसार, भारतीय नदियों में करीब 3,700 गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन हैं.

2010 में राष्ट्रीय जलीय प्रजातियां घोषित
नदी के डॉल्फिन को स्वस्थ नदी के पारिस्थितिक तंत्र के आदर्श पारिस्थितिक संकेतक के रूप माना जाता है. उन्हें नदियों की संरक्षण स्थिति की निगरानी के लिए प्रमुख प्रजाति माना जाता है. साल 2010 में उन्हें राष्ट्रीय जलीय प्रजातियां घोषित किया गया था.

परियोजना का सहयोग करते मंत्रालय
मंत्रालय ने कहा कि, 'इस परियोजना में जल शक्ति मंत्रालय, जहाजरानी मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और किसान कल्याण, मत्स्य मंत्रालय, पशुपालन मंत्रालय और डेयरी, ऊर्जा मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, राज्य सरकारें जैसे विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/वैज्ञानिक संगठनों/सिविल सोसाइटी संगठनों आदि के साथ मिलकर काम और सहयोग करेगी.'

नदी प्रणाली पर भी निर्भर आजीविका
कई लाख लोग अपनी जीविका के लिए गंगा नदी पर निर्भर हैं, इसलिए गंगा के डॉल्फिन का संरक्षण न केवल प्रजातियों के अस्तित्व को लाभान्वित करेगा, बल्कि लोगों को उनकी आजीविका के लिए नदी प्रणाली पर निर्भर भी करेगा.

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