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यूपीआई प्लेटफॉर्म पर डेटा दोहन मामला : सुप्रीम कोर्ट में 23 नवंबर को सुनवाई - प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे

उच्चतम न्यायालय राज्यसभा सदस्य बिनय विश्वम द्वारा दायर याचिका पर 23 नवंबर को सुनवाई करेगा. याचिका में भाकपा नेता रिजर्व बैंक और एनपीसीआई को निर्देश देने का अनुरोध किया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि 'यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस' (यूपीआई) प्लेटफॉर्म पर एकत्र डेटा को किसी भी परिस्थिति में उनकी मूल कंपनी या किसी अन्य तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Nov 20, 2020, 10:16 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह राज्यसभा सदस्य बिनय विश्वम द्वारा दायर याचिका पर 23 नवंबर को सुनवाई करेगा. याचिका में रिजर्व बैंक को नियमन तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि 'यूपीआई प्लेटफार्म' पर एकत्र डेटा का भुगतान प्रक्रिया के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिये इस्तेमाल नहीं हो.

यह मामला सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना एवं न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने इसे अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.

न्यायालय ने 15 अक्टूबर को याचिका पर केंद्र, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और गूगल इंक, फेसबुक इंक, व्हाट्सएप और अमेजन इंक सहित अन्य से जवाब मांगा था.

भाकपा नेता विश्वम ने रिजर्व बैंक और एनपीसीआई को निर्देश देने का अनुरोध किया है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि 'यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस' (यूपीआई) प्लेटफॉर्म पर एकत्र डेटा को किसी भी परिस्थिति में उनकी मूल कंपनी या किसी अन्य तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं किया जाए.

याचिका में दावा किया गया है कि भारत में यूपीआई भुगतान प्रणाली का विनियमन रिजर्व बैंक और एनपीसीआई द्वारा किया जा रहा है लेकिन दोनों अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने और उपयोगकर्ताओं के संवेदनशील डेटा की सुरक्षा के बदले विदेशी संस्थाओं को भारत में अपनी भुगतान सेवाएं संचालित करने की अनुमति दे रहे हैं तथा भारतीय उपयोगकर्ताओं के हितों के साथ समझौता कर रहे हैं.

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इसमें दावा किया गया है कि रिजर्व बैंक और एनपीसीआई ने 'चार बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों' के तीन सदस्यों अमेजन, गूगल और फेसबुक व व्हाट्सएप (बीटा फेज) को यूपीआई प्रणाली में बिना ज्यादा जांच के अनुमति दी है. याचिका में कहा गया है कि यह यूपीआई के दिशा-निर्देशों और रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन है.

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