नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय में एक ताजा जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आरबीआई के 27 मार्च के आदेश को अलग करने की मांग की गई है, जिसमें ईएमआई का भुगतान करने के लिए तीन महीने की मोहलत (अब 31 अगस्त तक बढ़ाई गई) तो दी गई है. लेकिन इस अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज में कोई कटौती नहीं की गई है.
महाराष्ट्र चैंबर्स ऑफ हाउसिंग इंडस्ट्री (MCHI) द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की आय प्रभावित हुई है, कुछ बेरोजगार हो गए हैं और आजीविका अर्जित करने में असमर्थ हैं. अधिस्थगन के दौरान ऋण पर ब्याज लगाने से लोन पर ऋण स्थगन की अनुमति देने का उद्देश्य अर्थहीन हो जाएगा.