नई दिल्ली : मार्शल आर्ट की कुंग फू शैली सौम्य व भावहीन होने के साथ-साथ खतरनाक भी है. ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति चीन में हुई है. हालांकि, चीनी सेना का रवैया कुंग फू शैली के बिल्कुल विपरीत है.
चीन के एक टीवी चैनल सहित चीनी राज्य के स्वामित्व वाले मीडिया और एक समाचार पत्र ने बताया कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित सैनिकों को तैनात कर रखा है. इन सैनिकों को भारत के साथ विवादित क्षेत्रों में तैनात किया गया था. मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित लड़ाके Plateau Resistance Tibetan Mastiffs का हिस्सा हैं, जिसका मुख्यालय ल्हासा में है.
सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षकों को दक्षिण-पश्चिमी सिचुआन प्रांत में स्थित एनबो मिक्स्ड मार्शल आर्ट (एमएमए) अकादमी से बुलाया गया था. मिक्स्ड मार्शल आर्ट लड़ाई की क्रूर पद्धति के लिए जानी जाती है. वह कुंग फू शैली से बिल्कुल उलट है.
1500 वर्ष पुरानी कुंग फू परंपरा बौद्ध संस्कृति, ज्ञान, दर्शन, मानसिक-आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर केंद्रित है.
ऐसा माना जाता है कि बोधिधर्म नाम के एक भारतीय बौद्ध भिक्षु इस परंपरा को चीन लेकर गए थे. चीन में उन्हें दमो और जापान में उन्हें दारुमा नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि छठी शताब्दी में प्रसिद्ध शाओलिन बौद्ध मठ में बौद्ध भिक्षु ने अपने शिष्यों को मार्शल आर्ट सिखाई थी.