दुर्गापुर: उम्मीदी पर जब नाउम्मीदी की चादर चढ़ने लगती है, तब शिक्षा की लौ भी अंधेरे के गिरफ्त में आ जाता है. ऐसा ही कुछ वाकया पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर की है, जहां एक पीएचडी की हुई महिला बेरोजगार है और अपने परिवार के साथ भुखे पेट सोने को मजबूर हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि यह परिवार अब इच्छामृत्यु की गुहार लगा रहा है.
दो देशों का राष्ट्रगान लिखने वाले रविन्द्र नाथ टैगोर की गीतों में प्रकृति और मानव मस्तिष्क का विषय पर शोध करने वाली गार्गी बंद्योपाध्याय शिक्षित होने के बावजूद बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर है.
गार्गी ने बेरोजगारी के दंश और जीवनयापन के लिए कोई जरिया नहीं देख पूरे परिवार के साथ इच्छामृत्यु के लिए आवेदन किया है.
बता दें गार्गी बंद्योपाध्याय दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) की रहने वाली है. अपने माता-पिता के साथ रहती है. गार्गी बंद्योपाध्याय संगीत में पीएचडी की हैं लेकिन डिग्री के बावजुद भी उनके पास नौकरी के नाम पर कुछ नहीं है.
पढ़ें- पुलवामा के नौजवान ने खेती को बनाया रोजगार, स्थानीय लोगों को भी हो रही है आमदनी
ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट..
जीवनयापन के लिए कोई जरिया नहीं देख गार्गी बंद्योपाध्याय ने पूरे परिवार के साथ इच्छामृत्यु के लिए आवेदन किया है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.. उनके पिता कमल बंद्योपाध्याय एक स्टील प्लांट मैनेजर थे, मां एक प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका थीं. रिटायर होने के बाद कमल बाबू दुर्गापुर से बारासात में स्थानांतरित हो गए. गार्गी और उसकी बहन कस्तूरी की शादी हो गई थी. गार्गी ने कुछ कारणवश अपने पति से तलाक ले लिया.
तलाक के बाद अब वह नौकरी चाहती है. वह काउंसिलर्स से मदद चाहती हैं. लेकिन पीएचडी की डिग्री के बाद भी कोई नौकरी नहीं मिली. वे कई दिनों से भुखमरी की जीवन जी रही हैं. पूरा परिवार आर्थिक तंगी की मार झेल रहा था. इन लोगों के पास 10 रुपये तक नहीं थे. नौबत दुसरों से पैसे मांगने की आ गई. अब यह परिवार बेरोजगारी के कारण भुखमरी के कगार पर आ चुका है. इन लोगों ने अब इच्छामृत्यु की मांग की है.