नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पुरी में इस साल भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक वार्षिक रथ यात्रा के आयोजन पर रोक लगाने का आदेश वापस लेने के लिये उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को एक याचिका दायर की गई.
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन 23 जून से होना था और इसमें दुनिया भर के लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. शीर्ष अदालत का गुरुवार का आदेश वापस लेने और इसमें सुधार के लिए यह याचिका ‘जगन्नाथ संस्कृति जन जागरण मंच’ ने दायर की है.
याचिका में कहा गया है कि यह महोत्सव भगवान जगन्नाथ के लाखों श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है और सामाजिक दूरी बनाये रखते हुए केन्द्र के दिशानिर्देशों के अनुसार रथ यात्रा का आयोजन करना राज्य और जिला प्रशासन के लिये असंभव नहीं है.
याचिका में कहा गया है कि इन तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर न्यायालय के 18 जून के आदेश में इस सीमा तक संशोधन करने का अनुरोध किया जाता है कि रथ यात्रा का धार्मिक अनुष्ठान जगन्नाथ मंदिर के 500-600 सेवकों की मदद से सामाजिक दूरी और सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए करने की अनुमति दी जाए.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष पुरी में ऐतिहासिक रथ यात्रा और इससे संबंधित दूसरी गतिविधियों के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती. न्यायालय ने यह भी कहा था कि अगर हम इसकी अनुमति देंगे तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.
अधिवक्ता हितेन्द्र नाथ रथ के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश और राज्य सरकार के पहले के फैसले के अनुसार पिछले डेढ़ महीने से भी अधिक समय से 372 व्यक्ति तीन रथों के निर्माण में जुड़े थे ओर ये सभी अलग रह रहे थे और उनकी कोविड -19 के लिए की गई जांच में उन्हें कोई संक्रमण नहीं पाया गया.