इंदौर :दशहरे पर देशभर में भले ही रावण दहन की परंपरा हो, लेकिन कई लोग रावण को प्रकांड पंडित मानते हैं. ऐसा ही एक परिवार इंदौर में है. इस परिवार ने देशभर में रावण दहन पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इतना ही नहीं इस परिवार ने इंदौर में रावण का भव्य मंदिर भी बनवाया है, जहां दशहरे पर रावण की भक्ति में प्रतिवर्ष यज्ञ और अनुष्ठान होते हैं.
रावण की पूजा के लिए बनाया गया मंदिर
इंदौर के परदेसीपुरा में मौजूद रावणेश्वर महादेव का मंदिर स्थानीय लोगों में रावण के प्रति आस्था का केंद्र है. दशकों पहले मंदिर के पुजारी और रावण भक्त महेश गोहर ने रावण को शिव का अवतार बताते हुए रावण दहन का विरोध शुरू किया था. इसके बाद देखते ही देखते रावण भक्त मंडल की स्थापना के बाद प्रतिवर्ष रावण दहन का विरोध एक अभियान का रूप लेता है. परदेसीपुरा के इस इलाके के लोग न तो रावण जलाते हैं और न ही दशहरे पर रावण दहन की किसी परंपरा का हिस्सा बनते हैं.
रावण दहन का हो रहा लगातार विरोध. रावण दहन रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
रावण भक्त महेश गोहर ने देशभर में दशहरे पर प्रतिवर्ष होने वाले रावण दहन को रोकने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई फिलहाल जारी है. रावण के भक्तों का मानना है कि रावण दहन का कोई पुख्ता और शास्त्र सम्मत प्राचीन परंपरा नहीं है. इसके अलावा प्रतिवर्ष होने वाला रावण दहन देश में प्रदूषण और पेड़ पौधों के लिए घातक साबित हो रहा है. लिहाजा जिस तरह दिल्ली, हरियाणा समेत अन्य हिस्सों में पराली जलाने पर प्रकरण दर्ज किए जाते हैं, उन्हीं धाराओं में रावण दहन करने वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज होना चाहिए.
क्या है रावण का इतिहास
रावण भक्त मंडल के अनुसार रावण एक बहुआयामी विधाओं के ज्ञाता होने के साथ महात्मा थे. उनके समय श्रीलंका में प्रतिदिन पूजा अर्चना और शंख तथा वेदों की ध्वनियां सुनाई देतीं थीं. रावण के जन्म को लेकर कथानक है कि रावण महर्षि ब्रह्मा के वंशज विश्रवा मुनि और राजा सुमाली की पुत्री कैकसी की संतान थे. ब्राह्मण कुल में पैदा होने वाले रावण शिव भक्त भी थे.
मध्य प्रदेश से रावण का नाता
- मंदसौर के राजा दशपुर नरेश की पुत्री मंदोदरी से रावण ने शादी की थी. उसके बाद दशपुर का नाम ही मंदसौर हुआ. रावण की पूजा खानपुरा में होती है. यहां करीब 800 साल पुरानी रावण प्रतिमा है.
- विदिशा में रावण ग्राम में भी करीब 600 वर्ष पुराने काले पत्थर की लेटी हुई रावण प्रतिमा है, यहां भी पूरा गांव इनकी पूजा करता है.
- उज्जैन के ग्राम पिपलोदा में भी रावण मंदिर है, यहां प्रतिदिन पूजा होती है.
- छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा ग्राम में भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के विधायक ने रावण मंदिर बनवाया है, जहां वो और उनके समर्थक पूजा करते हैं.
- जबलपुर के पाटन में भी एक रावण का मंदिर बनाया गया है.
- सतना का एक ब्राम्हण परिवार रावण की पूजा करता है और उसे अपना पूर्वज मानता है. इस परिवार ने भी रावण का एक मंदिर बनवाया है.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भी रावण की छाया में बच्चों के मुंडन संस्कार का रिवाज है.
रावण दहन का विरोध
- उत्तर प्रदेश के गौतम बुध नगर के ग्राम बिसरख में रावण दहन का कई सालों से विरोध हो रहा है.
- बैतूल जिले के सारणी और पाठ खेड़ा में भी आदिवासी युवा संगठन रावण दहन का विरोध कर रहा है.
- मेरठ को भी कुछ इतिहासकार रावण की ससुराल मानते हैं.
- कानपुर शहर के शिवाला इलाके में डेढ़ सौ साल पुराना रावण कैलाश मंदिर है, जो दशहरे के दिन ही खुलता है.
- कर्नाटक के कोलार जिले में फसल महोत्सव पर रावण की पूजा होती है और जुलूस निकाला जाता है.
- कर्नाटक के मंडिया जिले के मालवल्ली तहसील में रावण का प्राचीन मंदिर है.
- आंध्र प्रदेश के काकीनाडा और किल्लूर पुरम में प्राचीन लंकेश मंदिर है, जहां मेला भी लगता है.