जयपुर : कोरोना काल में जोधपुर निवासी दीपक वैष्णव को सेहत की चिंता सताने लगी. उन्होंने घर में और अपने दोस्तों से इस बारे में बात करनी शुरू की. किसी भी संक्रमण या रोग से मुकाबले के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का होना जरूरी है. इस बात पर सभी सहमत थे. इसी को ध्यान में रखते हुए चारों दोस्तों ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के सहारे घर में ही सब्जियां उगाने की ठान ली.
क्या है हाइड्रोपोनिक्स तकनीक
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक, जल संवर्धन के जरिए खेती करने की कला है. इसमें सब्जियों को मिट्टी में उगाने की जरूरत नहीं है. मिट्टी में उगने वाली सब्जियों को कीड़े और रोग से बचाने के लिए पेस्टीसाइड्स डाले जाते हैं. ये पेस्टीसाइड्स इंसानों के लिए घातक हैं और कैंसर कारक हैं. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में सिर्फ पानी और पोषक तत्वों के सहारे सब्जियां उगाई जा सकती हैं. इसे जलीय कृषि के नाम से भी जाना जाता है.
इस तकनीक से ऐसे उगती हैं सब्जियां
इस तकनीक से उपज प्राप्त करने के लिए बीज को 24 घंटे पहले पानी में भिगोया जाता है. बीज जब अंकुरित हो जाए तो उसे एक पाइप में लगे कप के सेट में बोया जाता है. इसमें मिट्टी की जगह पोषक तत्व डाले जाते हैं. निर्धारित समय के अंतराल से पाइप में पानी प्रवाहित किया जाता है. इससे सब्जियों के पौधे बढ़ने लगते हैं और सब्जियां प्राप्त होने लगती हैं.
घर की छत पर उगाया सब्जियों का 'बेबीलोन' इजरायल में इस्तेमाल होती है यह तकनीक
इजराइल कृषि तकनीक के मामले में उन्नत देश है. वहां बिना मिट्टी के खेती की हाईड्रोपोनिक्स तकनीक अपनाई जाती है. इसी तकनीक से दीपक ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर घर की छत और बॉलकनी में सब्जियां उगा लीं. दीपक के दोस्त विजयसिंह परिहार, नंदकिशोर गुर्जर और विशालसिंह ने उनका इस काम में साथ दिया. दीपक और नंदकिशोर पेशे से फोटोग्राफर हैं, जबकि विजय सिंह सिविल इंजीनियर और विशाल सिंह सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. अपने पेशे के अलावा वे अब यहां ज्यादा समय देने लगे हैं. शुरूआत घर की बॉलकनी से की फिर सफल होने पर घर की छत पर काम शुरू कर दिया.
दीपक, विजय, नंद और विशाल की मेहनत लाई रंग मेहनत का मिला नतीजा
दीपक वैष्णव के इस हैंगिंग गार्डन में मिर्ची, पालक, धनिया, फूल गोभी, पत्ता गोभी सहित अन्य सब्जियां प्राप्त हो रही हैं, जिनमें किसी तरह का पेस्टीसाइड नहीं है. यह सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालती बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा भी करती है. इन सब्जियों की मांग अब होने लगी है.
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अब दे रहे व्यापारिक रूप
दीपक बताते हैं कि कोरोना के समय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अच्छे भोजन की आवश्यकता होने पर उन्होंने यह काम अपने लिए शुरू किया था, लेकिन अब वे इसे व्यापारिक रूप भी देने जा रहे हैं. लोग उनसे संपर्क करते हैं और चारों दोस्त मिलकर लोगों के लिए प्लांट भी लगा रहे हैं. दीपक बताते है कि सप्ताह में 15 मिनट से आधा घण्टे का समय देकर वे पेस्टिसाइड्स फ्री सब्जियां हासिल कर रहे हैं.
पानी और पोषक तत्वों से उगती हैं सब्जियां आवश्यकता आविष्कार की जननी है. कोरोना काल में सेहत सुधारने की आवश्यकता ने दीपक और उनके दोस्तों को नवाचार के लिए प्रेरित किया और अब यह प्रेरणा कई लोगों का जीवन बदलने की राह पर है.