नई दिल्लीः दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. प्रभावशाली, विनम्र और हमेशा मुस्कुराते रहने वाली शीला दीक्षित का व्यक्तित्व अन्य राजनेताओं की तुलना में कुछ हटकर था.
मिरांडा हाउस की एक जिंदादिल लड़की, जिसे कार की सवारी करनें का बड़ा शौक था. मगर जब उनकी शादी एक राजनीतिक परिवार में हुई तो उनकी किस्मत हमेशा के लिए बदल गई. शीला दीक्षित की शादी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता रहे उमाशंकर दीक्षित के घर हुई. उमाशंकर दीक्षित ने एक समाजसेवी के तौर पर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था. अपने काम के चलते वह आगे चल कर इंदिरा गांधी की कैबिनेट में मंत्री बने. अपने ससुर से ही शीला दिक्षित ने राजनीति के दाव सीखे.
दीक्षित परिवार की गांधी परिवार से करीबियां नेहरू के समय से ही थीं. अपने काम और क्षमताओं की बदौलत शीला इंदिरा गांधी की नजर में आई और इंदिरा गांधी ने उनको संयुक्त राष्ट्र कमिशन दल का सदस्य बनाया. उनके राजनीतिक सफर की शुरूआत यहीं से हुई.
उनका जन्म पंजाब मे हुआ और दिल्ली में रहकर उन्होंने अपनी शख्सियत को बुलंद किया. 1984 में उत्तर प्रदेश के कंनौज से जीत हांसिल करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी को अपनी कर्मभूमि बनाया.
राजधानी में अपने 15 साल के शासन के दौरान उन्होंने दिल्ली का चेहरा पूरी तरह से बदलकर रख दिया. उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी स्तर पर काम कराए. इन्ही कामों का नतीजा है कि उनके राजनीतिक विरोधी भी इस बात को नकार नहीं सकते कि वह दिल्ली में आए परिवर्तन के पीछे की एक बड़ी ताकत थीं.
सड़कों और फ्लाईओवरों का निर्माण कराकर शहर के बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव लाने में वह सफल रहीं. उन्होंने जो भी हासिल किया उसमें एक गरिमा थी और आज भी है. यही वजह है कि उन्होंने अपने विरोधियों से भी खूब सम्मान पाया.