हैदराबाद : भारतीय सेना ने विभिन्न पदों पर शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए औपचारिक सरकारी मंजूरी पत्र जारी किया है, जिससे महिला अधिकारियों के संगठन में बड़ी भूमिका निभाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
यह आदेश भारतीय सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कोर (एएससी), आर्मी ऑर्डिनेंस कोर (एओसी) और इंटेलीजेंस कोर को स्थायी कमीशन देता है, साथ ही जज और एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशनल कोर (एईसी) को भी ये सुविधा मिलेगी.
एक परमानेंट कमीशन सेलेक्शन बोर्ड की ओर से महिला अधिकारियों को तैनात किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस साल फरवरी में तीन महीने के भीतर महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए भारतीय सेना को आदेश दिया गया था, जिसके बाद सेना ने सेवारत महिला अधिकारियों को बड़ी भूमिका देने के लिए प्रक्रिया शुरू की.
भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति की शुरुआत वर्ष 1990 से हुई. शुरुआत में महिला अधिकारियों को नॉन-मेडिकल जैसे- विमानन, रसद, कानून, इंजीनियरिंग और एक्ज़ीक्यूटिव कैडर में नियमित अधिकारियों के रूप में पांच वर्ष की अवधि के लिये कमीशन दिया जाता था, जिसे समाप्ति पर पांच वर्ष और बढ़ाया जा सकता था. आइए जानते हैं, तिथिवार विवरण.
- 1990:महिला अधिकारियों को सशस्त्र बलों में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) अधिकारियों के रूप में शामिल किया जाने लगा, जिसका अधिकतम कार्यकाल 14 वर्ष था.
- 2011: सरकार ने एसएससी अधिकारियों को तीन सेवाओं की न्यायिक और शिक्षा शाखाओं में स्थाई कमीशन दिया.
- 15.08.2018: पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि महिला अधिकारी गैर-लड़ाकू सेवाओं की व्यापक श्रेणी में स्थाई के लिए पात्र होंगी.
- 15.08.2018: पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि गैर-लड़ाकू सेवाओं की व्यापक रेंज में महिला अधिकारी स्थाई कमीशन की पात्र होंगी.
- 25.02.2019: 8 लड़ाकू समर्थन/सेवाओं में नए एसएससी महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने के लिए सरकारी आदेश जारी किया.
- 31.10.2019: सेना के एडजुटेंट जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अश्विनी कुमार ने बताया कि महिला अधिकारी स्थाई कमीशन के तहत एक विशेष स्ट्रीम का चयन करने के बाद, वे स्ट्रीम के लिए प्रशिक्षण ले सकेंगी. अप्रैल 2020 से महिलाओं के लिए स्थाई आयोग खुला रहेगा.
- 19.11.2019:महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने सेना से कहा था कि वह उन आठ महिला सेना अधिकारियों के लिए स्थाई कमीशन पर फैसला ले, जिन्होंने 2010 में शीर्ष अदालत से सशस्त्र बलों में उनके अवशोषण पर रोक लगाने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
- 17.02.2020: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि महिलाएं सेना के कमांडरों के रूप में काम कर सकती हैं, सरकार के इस रुख को खारिज करते हुए कि पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों के आदेशों को परेशान करने के लिए तैयार नहीं थे. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह स्थाई कमीशन का विस्तार करे, जो अब तक केवल पुरुषों के लिए लागू होती है.
- इससे महिलाओं को अपने पुरुष सहकर्मियों के समान अवसर और लाभ मिलेंगे, जिनमें रैंक, पदोन्नति और पेंशन शामिल हैं और उन्हें लंबे समय तक सेवा प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी.
- 07.07.2020: सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों में योग्य महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन/कमांड पोस्ट देने के अपने 17 फरवरी के फैसले को लागू करने के लिए सरकार को एक महीने के विस्तार की अनुमति दी.
- 23.07.2020:संघ सरकार ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने के लिए एक औपचारिक मंजूरी पत्र जारी किया, जिससे महिला अधिकारियों को संगठन में बड़ी भूमिका निभाने का अधिकार मिल गया.
दुनियाभर में महिलाओं की लड़ाकू भूमिका पर एक नजर
ब्रिटेन : 2018 में ब्रिटेन सरकार ने घोषणा की कि महिलाओं को ब्रिटिश सशस्त्र बलों में सभी सैन्य भूमिकाओं के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें फ्रंटलाइन पैदल सेना की इकाइयां और रॉयल मरीन शामिल हैं.
अमेरिका :1976 में सैन्य सेवा में कैरियर की तलाश में महिलाओं के लिए दरवाजे खुलने शुरू हो गए. महिलाओं को सभी सेवा अकादमियों में भर्ती कराया गया. बुनियादी प्रशिक्षण1977 में समन्वित हो गया. महिलाओं के लिए एक अलग शाखा की आवश्यकता नहीं थी, इसलिए अमेरिकी कांग्रेस ने 1978 में महिला सेना वाहिनी को भंग कर दिया. अमेरिकी रक्षा विभाग ने 2015 में महिलाओं के लिए सभी युद्धक नौकरियों के लिए दरवाजे खोल दिया.
कनाडा : कनाडा की सेना लगभग 85 फीसदी पुरुष है, लेकिन महिलाओं को 1989 से युद्ध में अनुमति दी गई है. कनाडा की सेना में महिलाओं की संख्या 15 फीसदी है.