नई दिल्ली: कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में एक पत्रकार द्वारा टीवी चैनल पर की गई कथित समांतर जांच-पड़ताल पर नाखुशी जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि लोगों को आपराधिक मुकदमेबाजी में प्रशिक्षण लेना चाहिए और फिर पत्रकारिता में आना चाहिए.
जिम्मेदार पत्रकारिता को समय की जरूरत बताते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि वह यह नहीं कह रहा कि कोई मीडिया पर पाबंदी लगाएगा, लेकिन जांच की शुचिता बनाकर रखी जानी चाहिए.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा क्या जांच एजेंसी द्वारा दाखिल आरोपपत्र के खिलाफ अपील में मीडिया शामिल हो सकता है?
उन्होंने कहा इसका असर वादी (थरूर) पर नहीं, बल्कि जांच एजेंसी पर होता है. क्या समांतर जांच या मुकदमा चल सकता है? क्या आप नहीं चाहेंगे कि अदालतें अपना काम करें?'
उच्च न्यायालय कांग्रेस सांसद थरूर के एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक न्यूज चैनल के प्रधान संपादक को सांसद के विरुद्ध अपमानजनक बयान देने से रोकने के लिए अंतरिम निषेधाज्ञा लागू करने का अनुरोध किया गया था.
थरूर की शिकायत जुलाई और अगस्त में टीवी चैनल पर उनके नाम से कार्यक्रम के प्रसारण से संबंधित है. प्रसारण में पत्रकार ने दावा किया था कि उन्होंने सुनंदा पुष्कर मामले में पुलिस से बेहतर जांच की है और उन्हें अब भी इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पुष्कर की हत्या की गई थी.