नई दिल्ली : को-विन डिजिटल एप में लोगों के एक वर्ग द्वारा फैलाई गई अज्ञानता और अफवाह की वजह भारत में कोरोना वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट महसूस की जा रही है. अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फॉर कमेटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय के राय ने ईटीवी भारत से गुरुवार को बातचीत में यह बातें कही.
डॉ. राय जो कि इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि लोगों को अफवाहों को सुनने के बजाय विज्ञान पर विश्वास करना चाहिए. जब भी कोई नई दवा या वैक्सीन लॉन्च की जाती है, तो उसे नियामकों से मंजूरी मिलने से पहले कई प्रक्रियाओं और नैदानिक परीक्षणों से गुजरना पड़ता है. वैक्सीन लेने में लोगों को संकोच है, क्योंकि लोगों को सही जानकारी नहीं है.
पोलियो मामले में भी यही हुआ था
डॉ. राय ने बताया कि पोलियो प्रतिरक्षण के मामले में भी इसी तरह की हिचकिचाहट हुई थी. डॉ. राय ने कहा कि झूठी अफवाहें थीं और पहले यह टीका लोगों द्वारा खारिज कर दिया गया था. हमने उस पर काम किया और बाद में सबकुछ ठीक हो गया. 2011 के बाद भारत में एक भी पोलियो का मामला सामने नहीं आया. यह वैक्सीन वैश्विक स्तर पर पाए जाने वाले अन्य सभी कोविड- 19 टीकों में सबसे सुरक्षित है. समस्या यह है कि लोग डाटा और वैज्ञानिक ज्ञान से नहीं गुजरते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को वैज्ञानिकों पर विश्वास करना चाहिए. यह कहते हुए कि टीका प्रभावकारिता डेटा निश्चित रूप से परीक्षण के बाद आएगा. डॉ. राय ने कहा कि संक्रमण के मामलों में कमी के कारण वैक्सीन के प्रभावकारिता डाटा की गणना नहीं की जाती है.
भारत में इन्फैक्शन रेट कम है