पटना : बिहार में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य की करीब सभी प्रमुख नदियां और उसकी सहायक नदियों में उफान के कारण कई जिलों के लोग बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं. लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित है, वहीं विभिन्न घटनाओं में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही अब तक 20 मवेशियों की भी मौत हो चुकी है. हालांकि सरकार राहत और बचाव कार्य का दावा कर रही है.
सीतामढ़ी
सीतामढ़ी जिले के अधवारा समूह की बागमती नदी, झीम नदी और लखनदेई नदी का जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन बाढ़ प्रभावित लोगों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. रुन्नीसैदपुर प्रखंड के थुम्मा पंचायत के वार्ड नंबर 2 में बाढ़ का पानी घुसने से कई घर जलमग्न हैं. लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हैं. लोगों के पास न खाने का राशन है और न ही सुरक्षित रहने की कोई व्यवस्था.
मुजफ्फरपुर
जिले में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही मीनापुर प्रखंड में नजर आ रही है. बूढ़ी गंडक के जन सैलाब ने एक बड़ी आबादी की जिंदगी को बदरंग कर दिया है. हजारों की आबादी बूढ़ी गंडक के कहर से बेघर हो गई है. आशियाना तो डूबा ही, इसमें रखे सामान भी पूरी तरह बर्बाद हो गए. बाढ़ का पानी लगातार नए इलाकों में फैल रहा है जिसके कारण सड़कों पर सैलाब बह रहा है.
मुजफ्फरपुर में बाढ़ के हालात. मीनापुर में बाढ़ की भयावहता के बीच सोमवार को ईटीवी भारत की टीम चैनपुर पहुंची. यहां चैनपुर-मोहम्मदपुर पर गंडक नदी का पानी सैलाब की तरह बह रहा है. यहां सड़क का एक बड़ा हिस्सा भी टूट चुका है. जिससे फिलहाल वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है. मीनापुर प्रखंड में प्रखंड मुख्यालय को जोड़ने वाली 5 पंचायतों की मुख्य सड़क पर बाढ़ का पानी बह रहा है.
सारण
गंडक नदी का पानी लगातार नए इलाके में प्रवेश कर रहा है. सबसे बदतर स्थिति जिले के मकेर प्रखंड में की है. लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने पशु और जरूरत के सामान के साथ लगातार ऊंची जगह की ओर पलायन कर रहे हैं. राहत और बचाव के लिए इलाके में एनडीआरएफ की टीम को लगाया गया है. लेकिन ग्रामीण उससे भी संतुष्ट नजर नहीं आए.
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन हम लोगों का रेस्क्यू कराने की बजाय एनडीआरएफ की टीम से चूड़ा और गुड़ का वितरण करवा रहा है. रेस्क्यू के लिए एक भी टीम को नहीं लगाया गया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हम लोग प्रलयंकारी बाढ़ की विभीषिका को झेल रहे हैं. स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होते जा रही है. यहां गांवों से लेकर प्रखंड मुख्यालय के अस्पताल पर सरकारी दफ्तर सब जलमग्न हैं.
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन पर अनदेखी करने का आरोप भी लगाया. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि राहत-बचाव के नाम पर इलाके में एनडीआरएफ की टीमें तो जरूर तैनात की गई हैं. लेकिन उन लोगों से चूड़ा और गुड़ का वितरण करवाया जा रहा है. बचाव टीम लोगों का रेस्क्यू नहीं कर रही है.
मोतिहारी
पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया नगर पंचायत में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. इस पंचायत में कुल 11 वार्ड हैं और सभी वार्ड बाढ़ के पानी में घिरे हुए हैं. संग्रामपुर प्रखंड में गंडक नदी पर बना चंपारण तटबंध बीते 24 जुलाई को टूट गया. इससे बाढ़ का पानी संग्रामपुर प्रखंड में कहर मचाने के बाद केसरिया प्रखंड में तबाही मचा रहा है. केसरिया प्रखंड के ग्रामीण इलाकों के अलावा नगर पंचायत के सभी वार्ड में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. जिस कारण लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है.
बाढ़ प्रभावित नगर पंचायत के हालातों की जानकारी देते हुए चेयरमैन रिंकू पाठक ने ईटीवी भारत को बताया कि चंपारण तटबंध के टूटने से गंडक का पानी संग्रामपुर से होकर केसरिया की तरफ बढ़ गया है. नगर पंचायत के सभी वार्ड में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. मुख्य सड़क से लेकर सभी वार्ड की सड़कें पानी में डूबी हुई हैं. कई सड़के क्षतिग्रस्त हो गई हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के घरों में पानी प्रवेश कर गया है, लोग परेशान हैं. नगर पंचायत की स्थिति काफी खराब हो गई है.
दरभंगा
जिले में बाढ़ की स्थिति अब भी विकराल बनी हुई है. भीषण बाढ़ ने जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग की बाढ़ पूर्व तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है. ऐसा ही नजारा दिखा केवटी प्रखंड की करजापट्टी पंचायत के बिरने गांव में जहां बागमती नदी का जमींदारी बांध तीन दिन में लगातार तीसरी बार टूट गया. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को सूचना दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. ग्रामीणों ने प्रशासन की अनदेखी के बाद खुद बांध को बांधने का काम शुरू कर दिया.
रविवार को करीब 300 ग्रामीणों ने तेज धारा में लोहे के तारों को पेड़ से बांध कर प्लास्टिक के बोरे में मिट्टी भर कर किसी तरह बांध को बांध दिया. लेकिन ये तीसरी बार फिर से सोमवार को टूट गया. अब ग्रामीण और बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल की टीम फिर से बांध बांधने की कोशिश में लगे हुए हैं. स्थानीय सुरेंद्र महतो ने बताया कि बांध टूट जाने से कई गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से घुस रहा था. गांव के लोग बेहद चिंतित थे. अब करीब 300 लोग बांध को बांधने में लगे हुए हैं. नाश्ता-खाना सब बांध के पास ही हो रहा है. दिन-रात एक करके बांध को बांधने की कोशिश की जा रही है.