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अदालतों में लंबित हैं दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट से जुड़े 2.4 लाख केस

जनता दल (यूनाइटेड) के नेता राजीव रंजन (लल्लन) द्वारा किए गए सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि देश में पॉक्सो और बलात्कार के 2.4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं.

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जय शंकर

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Published : Mar 5, 2020, 11:37 AM IST

Updated : Mar 5, 2020, 12:27 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को कहा कि देश की अदालतों में 2.4 लाख से अधिक बलात्कार या यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) से संबंधित मामले लंबित हैं.

कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा लोकसभा में एक लिखित उत्तर के अनुसार, 66,994 लंबित बलात्कार के मामलों के साथ उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. वहीं महाराष्ट्र में 21,691 तो बंगाल में एसे 20,511 मामले लंबित हैं.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि उच्च न्यायालयों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बलात्कार और पॉक्सोअधिनियम से संबंधित लंबित मामलों की संख्या, 31 दिसंबर, 2019 तक 2,44,001 है.

जनता दल (यूनाइटेड) के नेता राजीव रंजन (लल्लन) द्वारा किए गए सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह आकणे जारी किए.

इसी मामले में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के अनुसार देश भर में 1,023 फास्ट ट्रैका कोर्ट बनाने का फैसला किया गया.

इस फैसले के तहत बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध रोकने वाले पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत आने वाले मामलों के शिघ्र निस्तारण के लिए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट(एफसीटीएस) बनाने का फैसला किया गया.

अब तक, 2019-20 के दौरान 27 राज्यों में के दौरान दो केंद्र शासित प्रदेशों में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना के लिए केंद्र सरकार 93.43 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है.

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मंत्रालय ने कहा कि उच्च न्यायालयों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 31 जनवरी, 2020 तक पहले ही 195 फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जा चुकी है. हालांकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में एक भी फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना नहीं की गई है . जहां पर अधिकतम संख्या में बलात्कार के मामले लंबित हैं.

प्रस्तावित एफसीटीएस के अनुसार, अधिकतम 218 अदालतें उत्तर प्रदेश में, महाराष्ट्र 138 में और 123 पश्चिम बंगाल में स्थापित की जाएंगी.

इसके तहत आंध्र प्रदेश में 18, तेलंगाना 36, अंडमान और निकोबार द्वीप 01, अरुणाचल प्रदेश 03, असम 27, बिहार 54, चंडीगढ़ 01, छत्तीसगढ़ 15, गोवा 02, गुजरात 35, हरियाणा 16, हिमाचल प्रदेश 06, जम्मू और कश्मीर 04, झारखंड 22, कर्नाटक 31, केरल 56, मध्य प्रदेश 67, मणिपुर 02, मेघालय 05, मिजोरम 03, नागालैंड 01, दिल्ली NCT 16, ओडिशा 45, पंजाब 12, राजस्थान 45, तमिलनाडु 14, त्रिपुरा 03 और उत्तराखंड में 04 फास्ट कोर्ट बनाए होंगे.

अपने जवाब में, मंत्री ने कहा कि एफसीटीएस की योजना के अनुसार, ऐसे प्रत्येक न्यायालय से एक वर्ष में 165 मामलों को निपटाने की उम्मीद की जाती है, जिसके लिए राज्यों / संघ राज्य सरकारों को सूचित किया गया है.

195 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों में कार्यात्मक और महिलाओं और बालिकाओं के लिए जनवरी 2020 तक योजना के तहत स्थापित एफसीटीएस में से मध्य प्रदेश में 56, छत्तीसगढ़ में 15, दिल्ली में 16, त्रिपुरा में तीन, झारखंड में 22, राजस्थान में 26, तेलंगाना में नौ, गुजरात में 34 और तमिलनाडु में 14 हैं.

Last Updated : Mar 5, 2020, 12:27 PM IST

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