पटना : सर्दियों की शुरुआत होते ही प्रवासी पक्षी बिहार आने लगे हैं. माना जाता है कि जब इन पक्षियों के मूल निवास स्थान पर प्रकृति का प्रकोप बढ़ता है, झीलें एवं अन्य जलाशय बर्फ में तब्दील होने लगते हैं और भोजन की कमी हो जाती है, तब ये पक्षी अपेक्षाकृत गर्म इलाकों को अपना बसेरा बना लेते हैं.
इसी के तहत 30 से ज्यादा प्रजाति की पक्षियां बिहार पहुंचकर राजधानी जलाशय में शरण लिए हैं. वन विभाग इन पक्षियों का पूरी तरह से ख्याल भी रख रहा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि बिहार इनदिनों प्रवासी पक्षियों का ठिकाना बन हुआ है. पटना सचिवालय स्थित राजधानी जलाशय आज-कल किसी स्वर्ग से कम नहीं है.
राजधानी जलाशय पक्षियों के लिए अनुकूल
सुबह से ही यहां पक्षियों का कलरव होने लगता है. जैसे-जैसे सूरज ढलता है ये पक्षी फिर इसी तालाब पर वापस आने लगते हैं. नवंबर माह से ही विदेशी प्रवासी पक्षी लाखों मीलों का सफर तय कर दूर देशों से पटना पहुंचे हैं. अपने प्रवास के दौरान यहां पर इन मेहमानों को उनके अनुकूल पोषक तत्व वाले घास और किट मिलते हैं. जिससे राजधानी जलाशय इन पक्षियों के लिए अनुकूल मानते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1200 से ज्यादा प्रजातियों तथा उपप्रजातियों के लगभग 2100 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं. इनमें लगभग 350 प्रजातियां प्रवासी हैं, जो शीतकाल में यहां आती हैं. कुछ प्रजातियां जैसे पाइड क्रेस्टेड कक्कु (चातक) भारत में बरसात के समय प्रवास पर आते हैं. पक्षियों की कई प्रजातियां अपने ही देश की सीमा में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करती हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर के प्रवासी पक्षी (लोकल माइग्रेटरी बर्ड्स) कहा जाता है. पक्षी वैज्ञानिकों के अनुसार जो पक्षी यहां प्रजनन करते हैं, वे स्थानीय होते हैं.
मौजूदा दौर में दक्षिण अमेरिका, ब्राजील, इरान, अफगानिस्तान, उत्तरी अफ्रीका, रूस- चीन, तिब्बत,चीन, उत्तरी यूरोप से पक्षी पटना आये हुये हैं.
पटना वन प्रमंडल की ओर से भी इन पक्षियों को विशेष सुविधाएं दी जाती है. जिससे ये पक्षी पटना की ओर खिंचे चले आते हैं. वन विभाग के डीएफओ, शशिकांत कुमार बताते हैं कि जब राजधानी जलाशय में प्रवासी पक्षी अपना शरण लेना शुरू कर दिए तब हम लोगों ने राजधानी जलाशय को आम लोगों के लिए बंद कर दिया. इस जगह की घेराबंदी कर दी. जिससे बेवजह लोग इन जगहों पर ना जाएं और ना ही पक्षियों को डिस्टर्ब करें.