नई दिल्ली/ इंदौर : योग गुरु रामदेव का पतंजलि समूह कोविड-19 से बेहद प्रभावित शहरों में से एक इंदौर में इस महामारी के मरीजों पर अपनी आयुर्वेदिक उपचार पद्धति का इस्तेमाल करना चाहता है और उसने इस संबंध में प्रस्ताव भी दिया है. लेकिन इस मामले में विवाद पैदा होने के बाद प्रदेश सरकार का कहना है कि अभी पतंजलि को इस सिलसिले में अंतिम मंजूरी नहीं दी गई है और प्रस्ताव पर विचार हो रहा है.
सोशल मीडिया पर बवाल मचने के बाद जिला प्रशासन ने शनिवार को इस बात से इंकार किया कि उसने योग गुरु रामदेव के पतंजलि समूह की कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को कोविड-19 के मरीजों पर चिकित्सकीय रूप से परखे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
स्थानीय मीडिया में छपी खबरों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जिला प्रशासन पर निशाना साधा है. इन खबरों में दावा किया गया है कि कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को कोविड-19 के मरीजों पर परखे जाने को लेकर पतंजलि समूह के प्रस्ताव को प्रशासन ने हरी झंडी दिखा दी है.
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का कहना है कि मरीजों पर दवाओं के चिकित्सकीय परीक्षण की मंजूरी सरकार की नियामकीय संस्थाएं देती हैं और प्रशासन को इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को अनुमति देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.
इस मुद्दे को लेकर विवाद बढ़ने के बाद जिलाधिकारी मनीष सिंह ने दावा किया कि उन्होंने इंदौर में कोविड-19 के मरीजों पर पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी और इस बारे में भ्रम फैलाने की कोशिश की गई.
मनीष सिंह ने कहा, अव्वल तो एलोपैथी दवाओं की तरह आयुर्वेदिक औषधियों के मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल (चिकित्सकीय परीक्षण) किये ही नहीं जाते. बहरहाल, हमने पतंजलि समूह की ओर से भेजे गये प्रस्ताव पर इस तरह के किसी ट्रायल की फिलहाल कोई औपचारिक मंजूरी नहीं दी है.
उधर, पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण ने से कहा, हम इंदौर में कोविड-19 के मरीजों पर आयुर्वेदिक उपचार पद्धति का कोई एकदम नया प्रयोग या परीक्षण नहीं करना चाहते हैं. इस महामारी को लेकर हमारी प्रस्तावित उपचार पद्धति लाखों लोगों द्वारा पहले से इस्तेमाल की जा रहीं पारम्परिक आयुर्वेदिक दवाओं पर आधारित है। हम इस पद्धति को वैज्ञानिक साक्ष्यों के जरिये वैश्विक स्तर पर स्थापित करना चाहते हैं.
बालकृष्ण ने किसी का नाम लिये बगैर कहा, इस वैज्ञानिक प्रक्रिया के दस्तावेजीकरण के लिये हम तमाम नियम-कायदों का पालन कर रहे हैं। इंदौर में पतंजलि को लेकर बेवजह खड़े किये गये विवाद के पीछे बहुराष्ट्रीय दवा निर्माता कम्पनियों की कठपुतलियों, दवा माफिया और ऐसे तत्वों का हाथ है जो किसी भी कीमत पर आयुर्वेद को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते.
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि इंदौर में कोविड-19 के मरीजों पर पतंजलि की प्रस्तावित आयुर्वेदिक उपचार पद्धति में गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी सरीखी पारम्परिक जड़ी-बूटियों से बनी दवाइयों के साथ ही नाक में डाले जाने वाले औषधीय तेल का उपयोग शामिल है.