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संसदीय समिति ने चीनी निवेश और विदेशी सर्वर को लेकर पेटीएम से पूछे सवाल

संसदीय समिति ने पेटीएम से चीनी निवेश और विदेशी सर्वर में आंकड़ा रखे जाने के बारे में सवाल पूछे हैं. समिति ने कहा कि ग्राहकों के आंकड़े भारत में ही रखा जाना चाहिए.

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Published : Oct 29, 2020, 11:33 PM IST

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने गुरुवार को डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पेटीएम के प्रतिनिधियों से कंपनी में चीनी कंपनियों के निवेश के बारे में सवाल पूछे. समिति ने उनसे यह भी कहा कि जिस सर्वर में ग्राहकों के आंकड़े हैं, उसे भारत में ही रखा जाना चाहिए.

सूत्रों ने कहा कि पेटीएम के शीर्ष अधिकारी व्यक्तिगत सूचनाओं के संरक्षण विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति के समक्ष पेश हुए और प्रस्तावित कानून को लेकर आंकड़ों के प्रबंधन समेत महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने सुझाव दिए.

विभिन्न दलों के सदस्यों वाली प्रवर समिति ने पेटीएम से यह पूछा कि जिस सर्वर में ग्राहकों के आंकड़े रखे गए, वह विदेश में क्यों है जबकि कंपनी भारतीय इकाई होने का दावा करती है.

सूत्रों के अनुसार, समिति के सदस्यों ने पेटीएम के प्रतिनिधियों से कहा कि ग्राहकों के आंकड़े वाले सर्वर को भारत में रखा जाना चाहिए. समिति के सदस्यों ने यह भी जानना चाहा कि कंपनी की डिजिटल भुगतान सेवा में चीनी निवेश कितना है.

चूंकि पेटीएम अपने ई-वाणिज्य मंच पर स्वयं के उत्पाद भी बेच रही है. इसको देखते हुए हितों के टकराव की संभावना के बारे में सवाल पूछे गए.

पेटीएम ने समिति के समक्ष कहा कि संवेदनशील और व्यक्तिगत आंकड़े प्रसंस्करण (विश्लेषण) को लेकर भारत के बाहर स्थानांतरित किए जा सकते हैं. लेकिन ऐसा आंकड़े से जुड़े व्यक्ति की जरूरी मंजूरी के बाद ही हो सकता है.

फेसबुक, ट्विटर और अमेजन पहले ही समिति के समक्ष अपनी बातें रख चुकी हैं. जबकि दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो और एयरटेल तथा ऑनलाइन वाहन बुकिंग सेवा देने वाली ओला और उबर से समिति के समक्ष पेश होने को कहा गया है.

भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली समिति व्यक्तिगत आंकड़ा सुरक्षा विधेयक 2019 पर विचार कर रही है.

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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 11 दिसंबर, 2019 को व्यक्तिगत सूचना संरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश किया था. विधेयक में लोगों से जुड़ी उनकी निजी जानकारी के संरक्षण और आंकड़ा संरक्षण प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव किया गया है.

विधेयक को बाद में विचार के लिये संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति को भेज दिया गया. प्रस्तावित कानून किसी व्यक्ति की सहमति के बिना संस्थाओं द्वारा व्यक्तिगत आंकड़ों के भंडारण और उपयोग पर रोक लगाता है.

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