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गृह मामलों की संसदीय समिति महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सख्त - भारत में अपराध 2019

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर दिन औसतन 88 रेप होते हैं और सजा की दर 27.8% है. जिसके बाद गृह मामलों की एक संसदीय समिति ने इन अपराधों को लेकर सुनवाई तेज कर दी है. उन्होंने सरकार से महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में शीघ्र सुनवाई करने की मांग की है.

Parliamentary Committee on Home Affairs
गृह मामलों की संसदीय समिति

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Published : Oct 28, 2020, 3:34 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों की एक संसदीय समिति ने मंगलवार को महिलाओं के खिलाफ घटित अपराधों पर चर्चा की. जिसमें उन्होंने सरकार से दोषियों के खिलाफ जल्द सुनवाई और अनुकरणीय सजा देने की मांग की है. एनसीआरबी के अनुसार, भारत में हर दिन औसतन 88 रेप होते हैं और सजा की दर 27.8% है.

सूत्रों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर एक प्रस्तुति केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की उपस्थिति में समिति के सदस्यों को दी गई थी, जिसमें बताया गया था कि 2019 में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों में गिरावट आई है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट

समिति के एक सदस्य ने बताया कि 'पैनल को सूचित किया गया था कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में महिलाओं की तुलना में अपराधों की रिपोर्टिंग में पिछले वर्ष की तुलना में 7.3% की वृद्धि हुई है.

'भारत में अपराध- 2019' रिपोर्ट से पता चलता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 2018 में 3.78 लाख मामलों से 7.3% वृद्धि दर्ज की गई और 2019 में 4.05 लाख मामले दर्ज किए गए.

एनसीआरबी के आंकड़े

  • पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के (30.9%) मामले.
  • महिलाओं पर हमला करने के लिए उनकी हत्या का इरादा करने वाले (21.84%) मामले.
  • महिलाओं का अपहरण (17.9%) मामले.
  • बलात्कार के (7.9%) मामले.

एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पांच वर्षों के दौरान देशभर में कुल 1,75,695 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए.

सूत्रों के अनुसार, सरकारी अधिकारियों ने पैनल को बताया कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के अधिकांश मामलों में, आरोपी या तो नशे में थे या ड्रग्स से प्रभावित थे.

पढ़ें -देश में प्रतिदिन 87 बेटियों का रेप, महिला अपराध में यूपी अव्वल

महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में गृह मामलों की संसदीय समिति को भी सूचित किया गया, लेकिन समिति के अधिकांश सदस्यों ने सरकारी कार्यों पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध तत्काल सार्वजनिक हित का मामला है.

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