दिल्ली

delhi

By

Published : Sep 18, 2020, 3:56 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 5:43 PM IST

ETV Bharat / bharat

राज्य सभा से सांसदों के वेतन व भत्ते में कटौती संबंधी विधेयकों को मंजूरी

राज्य सभा ने मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक और सांसदों के वेतन व भत्ते में कटौती करने के प्रावधान वाले विधेयकों को मंजूरी दे दी है. इस बिल के पास होने के बाद सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन से 30 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. राज्य सभा में इन विधेयकों पर हुई चर्चा के दौरान अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए.

राज्यसभा
राज्यसभा

नई दिल्ली :राज्य सभा ने मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक और सांसदों के वेतन व भत्ते में एक वर्ष के लिए 30 प्रतिशत की कटौती करने के प्रावधान वाले विधेयकों को शुक्रवार को मंजूरी दे दी. इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति का मुकाबला करने के लिए किया जाएगा.

उच्च सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक, 2020 और संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. यह विधेयक इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाए गए हैं.

इसके माध्यम से सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती के लिए संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 और मंत्रियों के सत्कार भत्ते में कटौती के लिए मंत्रियों का वेतन और भत्ते अधिनियम, 1952 में संशोधन किया गया है.

राज्य सभा में इन विधेयकों पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए.

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. यह कदम उनमें से एक है.

उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरुआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है.

कुछ सदस्यों द्वारा नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दे उठाने का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि 2019 के लोक सभा चुनाव में इसके बारे में कई दलों और लोगों ने मिथ्यारोप किया था और कुछ लोग उच्चतम न्यायालय भी गए थे, लेकिन देश की जनता ने हमें जबर्दस्त जनादेश दिया.

सांसद क्षेत्र विकास निधि (MPLAD) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षों के लिए निलंबित किया गया है. उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिए कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी, 'यह अस्थायी है.'

दरअसल, कांग्रेस, एनसीपी, आम आदमी पार्टी सहित अधिकतकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सांसद निधि को बहाल करने की मांग की थी.

पढ़ें - किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

वहीं, गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के समय में आम लोग, रेहड़ी पटरी वाले, श्रमिक आदि प्रभावित हुए हैं. ऐसे में हम सांसदों एवं मंत्रियों को आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए.

चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यहां 70 प्रतिशत सांसद सिर्फ तनख्वाह पर गुजारा करते हैं, लेकिन छोटी सी तनख्वाह से गरीबों और देश के लिए योगदान करने को वह तत्पर हैं.

उन्होंने कहा कि सांसद निधि हमारा पैसा नहीं है, यह गरीबों का पैसा है. पहले तो इसे दो साल के लिए निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था, निलंबन एक साल के लिए करते और इसमें भी आधा पैसा यानी 2. 5 करोड़ रुपये की कटौती करते.

कांग्रेस सदस्य राजीव सातव ने कहा कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव का समर्थन करती है, लेकिन सरकार को विकास कार्य के लिए महत्वपूर्ण 'एमपीलैड' को बंद नहीं करना चाहिए. उन्होंने मांग की कि सरकार को पीएम केयर्स फंड का हिसाब लोगों को देना चाहिए.

Last Updated : Sep 18, 2020, 5:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details