हैदराबाद : राज्य सभा में इस रविवार को कृषि विधेयकों के पारित होने के दौरान जमकर हंगामा हुआ. इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए सभापति ने सोमवार को आठ सांसदों को निलंबित कर दिया. विपक्ष के सांसदों ने निलंबन का राज्य सभा में जमकर विरोध किया. इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. निलंबित आठ सांसद निलंबन के विरोध में संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं, हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी कई बार संसद में मर्यादा लांघी गई है. आइए जानते हैं, कुछ खास मामले.
05.03.2020: स्पीकर के टेबल से कागजात छीनने और सदन के नियमों की अवहेलना करने पर कांग्रेस के सात सांसदों को बजट सत्र की शेष अवधि के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया.
03.01.2019 : कावेरी नदी पर एक बांध को बंद करने को लेकर अन्नाद्रमुक और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर तेदेपा सदस्य वेल में पहुंच गए. दोनों दलों के सांसदों ने वेल में नारे लगाए और बैनर दिखाकर नारेबाजी की. अन्नाद्रमुक सदस्यों ने कई बार कुर्सी की ओर कागज भी उछाले. स्पीकर के बार-बार कहने के बाद भी दोनों दलों के सदस्य वेल से नहीं हटे तो स्पीकर ने 12 टीडीपी सांसदों और सात एआईएडीएमके सदस्यों को सदन के अगले चार बैठकों के लिए लोकसभा की कार्यवाही के नियम 374 (ए) के तहत निलंबित कर दिया.
02.01.2019: स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कावेरी मुद्दे पर सदन में लगातार विरोध करने और हंगामा करने पर एआईएडीएमके के 24 सदस्यों को लगातार पांच बार निलंबित कर दिया था.
24.07.2017: कांग्रेस के छह लोकसभा सदस्यों को लगातार पांच सभाओं के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था. यह सभी गोरक्षकों पर दलितों और मुस्लिमों के अत्याचार का आरोप लगाकर चर्चा की मांग कर रहे थे. स्पीकर ने चर्चा की मांग खारिज की तो इन सांसदों ने कागजात फाड़कर हवा में और स्पीकर के पोडियम की ओर फेंक दिए थे.
03.08.2015 : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लगातार और जानबूझकर सदन में बाधा डालने के लिए 25 कांग्रेस के सांसदों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया था. स्पीकर ने कार्रवाई की पहचान के लिए इन 25 कांग्रेस सदस्यों का सदन में नाम लिया था. यह सभी ललित मोदी मामले में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व व्यापम घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग को लेकर लगातार वेल में नारे लगा रहे थे और प्ले कार्ड दिखा रहे थे.
13.02.2014 : तत्कालीन अध्यक्ष मीरा कुमार ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों को सदन में हंगामा करने पर निलंबित कर दिया. निलंबित सांसद अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण का समर्थन या विरोध कर रहे थे. सदन ने उस दिन अभूतपूर्व दृश्य देखे. कांग्रेस से निष्कासित एल राजगोपाल ने सदन में मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया था. एक तेलुगु देशम के सदस्य एम वेणुगोपाला रेड्डी ने एक माइक को तोड़ दिया था. निलंबित सदस्य कांग्रेस, तेलुगु देशम और वाईएसआर कांग्रेस के थे.
02.09.2013: आंध्र प्रदेश के 9 सांसदों को कार्यवाही को बाधित करने के लिए नियम 374 (ए) के तहत लोकसभा अध्यक्ष द्वारा निलंबित कर दिया गया. इलमें तेलुगु देशम पार्टी के चार और कांग्रेस के पांच सांसद थे. 5 अगस्त को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से ही ये सभी 9 सांसद आंध्र प्रदेश के विभाजन को लेकर विरोध कर रहे थे और सदन की कार्रवाई को बाधित कर रहे थे.
15.03.1989 : जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब 63 सदस्यों को लोकसभा से तीन दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था. ठाकुर आयोग की रिपोर्ट (दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर न्यायमूर्ति ठक्कर आयोग की जांच रिपोर्ट) संसद में पेश होने से पहले इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित होने पर निलंबित 63 सांसद सदन में हंगामा कर रहे थे. इन 63 सदस्यों को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया था.
स्रोत: मीडिया रिपोर्ट