हैदराबाद : हर बार की तरह इस बार भी भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव के मुहूर्त को लेकर संशय की स्थिति बन रही है. अलग-अलग पंचांग और अलग-अलग विद्वान अलग-अलग मुहूर्त बता रहे हैं. इस बारे में मध्य प्रदेश के ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम ने बताया है कि स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय अलग-अलग मुहूर्त में कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं. उनकी अपनी परंपराएं भिन्न हैं. जिसके चलते यह स्थिति बनती है. दूसरी तरफ विष्णु के अवतारों में श्रीकृष्ण ऐसे अवतार थे, जो सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन उनका प्रगट होना माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कुंडली क्या कहती है, इस पर भी ज्योतिषाचार्य ने प्रकाश डाला है. आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी के मुहूर्त और भगवान कृष्ण की जन्म कुंडली के बारे में....
ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम के मुताबिक स्मार्त मतानुसार जन्माष्टमी सप्तमी युक्त अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र का योग के हिसाब मानते हैं. जबकि वैष्णव नवमीं युक्त अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र के योग को मानते हैं. इसका कारण है कि स्मार्त संप्रदाय के सभी लोग मथुरा वृंदावनवासी साधु संप्रदाय के होते हैं. जिन्हें भगवान कृष्ण के जन्म का पूर्वाभास हो गया था. लिहाजा वहां पर उसी समय हर्षोल्लास मनाया गया था.
वैष्णव संप्रदाय में विष्णु उपासक इस व्रत को दूसरे दिन प्रातः काल से करते हैं. ज्योतिष संस्थान भोपाल के ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम के अनुसार इस वर्ष जन्माष्टमी स्मार्तजनों के लिए 11 अगस्त मंगलवार एवं वैष्णव जनों हेतु 12 अगस्त बुधवार को है. वैष्णवजन हेतु 12 अगस्त को सूर्योदय कालीन अष्टमी तिथि एवं अर्ध रात्रि कालीन रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है, यह शुभ और फलदायक है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रात्रि अंत तक रहेगा.
इस दिन प्रात से ही चंद्रमा वृष राशि में प्रवेश कर जाएगा.ज्योतिष मठ संस्थान के अनुसंधान के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म प्रगट भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र एवं वृष लग्न और वृष राशि के चंद्रमा में अर्धरात्रि के समय हुआ था. तदनुसार इस वर्ष 12 अगस्त की रात्रि में कृष्ण जन्म के सभी योग भाद्रपद,कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि, वृष लग्न दिन बुधवार की उपस्थिति द्वापर युग में कृष्ण जन्म के योग पैदा कर रही है.
रोहिणी नक्षत्र में जन्म,चंद्रमा वृष राशि पर है. उनकी जन्म कुंडली के पंचम भाव में स्थित के बुध ने जहां उन्हें वेणुवादक बनाया है. वहीं स्वग्रही गुरू ने नवम भाव में स्थित उच्च के मंगल एवं शत्रु मित्र छठ में भाव में स्थित उच्च के शनि ने परम पराक्रमी बनाया है. चतुर्थ स्थान में स्थित रही सूर्य ने उनके माता-पिता से विरक्त रखा है.इसके अतिरिक्त सप्तमेश मंगल लग्न में स्थित उच्च के चंद्र तथा स्वग्रही शुक्र ने श्री कृष्ण को रसिक शिरोमणि, कला प्रिय तथा सौंदर्य उपासक बनाया है. यही नहीं आय के भाव में स्थित उच्च के बुध और चतुर्थ भाव में स्थित सूर्य ने उन्हें महान पुरुष,शत्रु हंता, तत्व ज्ञानी, जन नायक तथा अमर बनाया है.
मथुरा में 12 अगस्त की मध्य रात्रि में होगा जश्न
उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजे धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. पूर्व के सालों की भांति सभी मंदिरों में विशेष सजावट की जाएगी. चारों तरफ लाइटों से श्री कृष्ण जन्मभूमि का परिसर जगमगा उठेगा. हालांकि महामारी कोविड-19 के चलते इस बार श्रद्धालुओं का प्रवेश मंदिर परिसर में वर्जित है. मंदिर परिसर में विधि-विधान के अनुसार, सभी कार्यक्रम भव्य और दिव्यता के साथ मनाए जाएंगे. भक्त अपने नटखट कन्हैया का जन्मोत्सव मनाने के लिए आतुर हैं. भगवान श्री कृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मंदिरों में मनाया जाएगा.
मंदिरों में होगी विशेष सजावट
झिलमिल लाइटों से श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर जगमगा उठेगी. जन्म स्थान के गर्भगृह स्थित भागवत भवन में ढोल नगाड़े, झांझ और शंख ध्वनि से उत्सव मनाया जाएगा. 11 अगस्त शाम 6:30 पर ठाकुर जी के लिए विशेष पोशाक समक्ष भेंट की जाएगी. वहीं 12 अगस्त की सुबह 10 बजे भागवत भवन में पुष्पांजलि कार्यक्रम संपन्न होंगे. नटखट कन्हैया पुष्प वृंत पोशाक धारण करके भक्तों को टीवी के माध्यम से दर्शन देंगे. रजत कमल पुष्प में विराजमान होकर ठाकुर जी का प्रकट उत्सव महाभिषेक किया जाएगा.
यह है पूजा कार्यक्रम का विवरण
- 12 अगस्त बुधवार की रात्रि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में होंगे कार्यक्रम.
- रात्रि 11 से 11:55 तक श्री गणेश नवग्रह पूजन किया जाएगा.
- 11:55 से 11:59 तक प्रकट उत्सव दर्शन पट बंद किए जाएंगे.
- भागवत भवन में 12 बजे नटखट कन्हैया भगवान श्रीकृष्ण का प्रकट उत्सव.
- मध्य रात्रि 12 से 12:05 पर प्रकट आरती.
- रात्रि 12:10 से 12:20 तक जन्मोत्सव महाभिषेक.
- 12:20 से 12:30 तक जन्म महाभिषेक रजत कमल पुष्प में विराजमान होंगे प्रभु.
- 12:40 से 12:50 तक भागवत भवन में श्रृंगार आरती.
- रात्रि 1 बजे भागवत पाठ में शयन आरती.
कोविड-19 के चलते श्रद्धालु इस बार जन्माष्टमी का पर्व का आनंद ऑनलाइन ले सकेंगे. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश वर्जित किए गए हैं.
शुभ मुहूर्त
इस साल जन्माष्टमी 11, 12 और 13 अगस्त को मनाया जा रहा है. अष्टमी की तिथि आज सुबह 9.6 से शुरू होकर 12 अगस्त को 11.16 को समाप्त होगी. 11 अगस्त को भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र है. इसलिए इस साल दोनों ही दिन जन्माष्टमी मनायी जा रही है. जनमाष्टमी की पूजा रात 12 बजे के बाद ही की जाती है. इस साल जन्माष्टमी की पूजा का शुभ समय आज रात 12.5 से 12.47 तक का है. पूजा की अवधि 43 मिनट है.
11 अगस्त को अद्वैत और स्मार्त संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. 11 तारीख की सुबह 9.07 बजे से भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. ये तिथि 12 अगस्त की सुबह 11.17 बजे तक रहेगी. 11 अगस्त की रात में अष्टमी तिथि रहेगी. इस वजह से बद्रीनाथ धाम में 11 की रात में जन्माष्टमी मनाई जाएगी, क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात में ही हुआ था.