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उत्तराखंड में खेली गई पांडव लीला, देखने उमड़े श्रद्धालु - Almora Chaukhutia

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, क्योंकि यहां कदम-कदम पर देवताओं का वास माना जाता है. यहां की सभ्यता और संस्कृति इसको प्रमाणित करती है. खास बात यह है कि देवभूमि को पांडवों की धरती भी कहा जाता है और उनकी खास परंपरा से पूजा भी की जाती है. पढ़ें पूरी खबर...

Pandav Leela in Chaukhutia
उत्तराखंड में खेली गई पांडव लीला

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Published : Dec 25, 2019, 8:58 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के अल्मोड़ा के चौखुटिया में मंगलवार को पांडव लीला की धूम रही. चमोली के टैटूड़ा माई थान से पहुंचे पांडव लीला के कलाकारों ने पहले ढोल दमाऊ की थाप पर शोभायात्रा निकाली. इसके बाद अगनेरी मंदिर में पांडव लीला का आयोजन किया गया, जिसमें कलाकारों ने गोल घेरे में नाचते हुए द्रौपदी, बसंती, नागार्जुनी के पात्रों का मंचन किया.

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कदम-कदम पर देवताओं का वास रहा है. इसका प्रमाण यहां की सभ्यताओं और संस्कृति में मिलता है. देवभूमि को पांडवों की धरती भी कहा जाता है. यहीं से स्वार्गारोहणी के लिए पांडवों ने प्रस्थान किया था. उत्तराखंड में पांडवों के पूजन की खास परंपरा है. चौखुटिया में इसी पंरपरा को जारी रखते हुए पांडव लीला खेली गई.

चौखुटिया में पांडव लीला की धूम

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बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने विध्वंसकारी अस्त्र और शस्त्रों को त्याग दिया था. इसके बाद उन्होंने सोचा कि आखिर इन अस्त्र और शस्त्रों को कहां छुपाया जाए? इसके लिए पांडवों को देवभूमि से बड़ा कोई स्थान नहीं मिला था. जिन स्थानों पर ये अस्त्र-शस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है. चौखुटिया इन्हीं में से एक स्थान है जहां अस्त्र-शस्त्रों के साथ लोग पांडव नृत्य करते हैं.

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