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केरल : किसान की नई पद्धति, प्लास्टिक की चादर में तैयार की नर्सरी - Development of new system in Palakkad

केरल के पलक्कड़ में एक किसान ने प्लास्टिक की चादरों में धान का नर्सरी बेड तैयार किया है. जिसमें केवल 15 दिनों में पौधारोपड़ किया जाता है. उन्नीकृष्णन किसान ने यह नई पद्धति तैयार कर सभी का ध्यान आकर्षित किया है. पढ़ें पूरी खबर...

new faring method in palakkad
प्लास्टिक की चादर में तैयार नर्सरी

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Published : Jun 19, 2020, 10:36 PM IST

तिरुवनंतपुरम : मौसम और लॉकडाउन की वजह के किसानों को खेती में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से कई बार किसानों को आर्थिक नुकसान हो जाता है. किसानों की समस्याओं को देखते हुए कर्नाटक के पलक्कड़ में एक किसान ने प्लास्टिक की चादरों में धान का नर्सरी बेड तैयार किया है.

पलक्कड़ में प्लास्टिक की चादर में तैयार नर्सरी

किसान ने खेती की यह नई तकनीक अपने घर के आंगन में कंक्रीट के फर्श पर विकसित की है. केरल के पलक्कड़ जिले के चित्तूर एलापुलली के एक पुंचपाद कालाथिल उन्नीकृष्णन ने धान की नर्सरी की नई पद्धति तैयार कर सभी का ध्यान आकर्षित किया है.

उन्नीकृष्णन ने बताया कि यह नई तकनीक उन्होंने अपने आंगन में कंक्रीट के फर्श पर तीन फीट चौड़ाई में एक प्लास्टिक की चादर पर की है. चादर में 4 इंच पर मिट्टी फैलाई गई है और इसके ऊपर बीज बोए गए हैं. इसके ऊपर मिट्टी की एक पतली परत फैलाई गई. नर्सरी बेड पर तेज धूप को रोकने के लिए मिट्टी को ढकने के लिए नारियल के ताड़ के पत्ते बिछाए जाते हैं. इस पद्धति में दिन में चार बार पानी का छिड़काव किया जाता है.

इस तरह से तैयार नर्सरी में तैयार फसल को हाथों और मशीनों का उपयोग कर रोपा जाता है. आमतौर पर खेतों में धान तैयार करने के लिए नर्सरी में बीज बोया जाता है. नर्सरियों को पौधारोपड़ के लिए तैयार होने में 21 दिन लगते हैं. उन्नीकृष्णन की विधि के माध्यम से प्लास्टिक की चादरों में तैयार नर्सरियों को 15 दिनों के बाद दोहराया जा सकता है.

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एक खेत में तैयार नर्सरी के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है. जबकि प्लास्टिक की चादर में तैयार नर्सरी को नाजुक जड़ों को बिना किसी नुकसान के रोपा जा सकता है. उन्नीकृष्णन नर्सरी तैयार करने की अपनी पद्धति का उपयोग में एक और फायदा बताते हैं. उन्होंने बताया कि नर्सरी खेतों में सीधे उगने वाले की तुलना में अधिक स्वस्थ होती है. यह पहली बार है कि प्लास्टिक की चादर में धान की नर्सरी की तैयारी पलक्कड़ जिले से की जा रही है. उन्नीकृष्णन अपनी नई तकनीक की सफलता से बहुत खुश हैं.

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