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एफएटीएफ के दबाव में पाकिस्तान ने माना, कराची में रहता है दाऊद

ब्लैक लिस्ट में शामिल होने से बचने के लिए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के तालिबान पर कई वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए हैं. प्रतिबंधित सूची में तालिबान के अलावा अन्य समूह भी हैं और इसे संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अफगान समूहों पर लगाए गए पांच वर्ष के प्रतिबंध और उनकी संपत्ति जब्त किए जाने की तर्ज पर ही लागू किया गया है.

इमरान खान
इमरान खान

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Published : Aug 22, 2020, 11:00 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 11:43 PM IST

इस्लामाबाद : आतंकवाद की फंडिंग को लेकर वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिशों के तहत पाकिस्तान ने 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं पर कार्रवाई करने का जो नाटक किया, इसमें वह खुद ही फंस गया.

दरअसल, पाकिस्तान ने इस लिस्ट में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम शामिल किया है और इस तरह से उसने यह मान लिया है कि दाऊद पाकिस्तान के कराची में रह रहा है.

प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की सरकार ने जमात-उद-दावा (JuD), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), तालिबान, दाएश, हक्कानी नेटवर्क, अल-कायदा और अन्य प्रमुख आतंकी संगठनों पर प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए 18 अगस्त को दो अधिसूचनाएं जारी कीं.

जानकारी के मुताबिक इन आतंकी संगठनों और उनके आकाओं की सभी संपत्तियों को जब्त करने और बैंक खातों को सील करने के आदेश दिए गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय खबरों के मुताबिक इन संगठनों और उनके आकाओं की सभी चल और अचल संपत्तियों को जब्त करने और उनके बैंक खातों को सील करने के आदेश दिए गए हैं. इनमें हाफिज सईद, मसूद अजहर, मुल्ला फजलुल्ला (उर्फ मुल्ला रेडियो), जकीउर रहमान लखवी, मुहम्मद यह्या मुजाहिद, अब्दुल हकीम मुराद, नूर वली महसूद, उजबेकिस्तान लिबरेशन मूवमेंट के फजल रहीम शाह, तालिबान नेताओं जलालुद्दीन हक्कानी, खलील अहमद हक्कानी, यह्या हक्कानी और दाऊद इब्राहिम और इनके सहयोगियों के नाम शामिल हैं.

भारत 1993 के मुंबई बम धमाकों के सिलसिले में दाऊद इब्राहिम के प्रत्यर्पण की मांग लंबे समय से कर रहा था. इन बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें लखवी का नाम महत्वपूर्ण है जो कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड है.

हालांकि पेरिस स्थित एफएटीएफ ने 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया था. 2019 के अंत की समय सीमा तय करते हुए पाकिस्तान से अपनी जमीन से आतंकवाद को खत्म करने के लिए 2019 के अंत तक कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था, लेकिन कोविड-19 महामारी को देखते हुए इसे आगे बढ़ाया गया था.

एक वैश्विक मनी-लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पर नजर रखने के लिए FATF अंतरराष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करता है, जिसका उद्देश्य इन अवैध गतिविधियों और समाज को होने वाले नुकसान को रोकना है.

FATF विभिन्न देशों में राष्ट्रीय विधायी और नियामक सुधार लाने के लिए आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने के लिए काम करता है.

प्रतिबद्ध न्यायालयों के साथ इसे 200 से अधिक देशों और उन्हें लागू किया गया है. FATF ने सिफारिशों के उन मानकों को विकसित किया है, जो संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को रोकने के लिए एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करते हैं.

इसके अलावा FATF सामूहिक विनाश के हथियारों के लिए धन को रोकने का भी काम करता है. FATF मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण तकनीकों की समीक्षा करता है और नए जोखिमों को संबोधित करने के लिए लगातार अपने मानकों को मजबूत करता है, जैसे कि आभासी संपत्ति का विनियमन, जो लोकप्रियता प्राप्त करने वाली क्रिप्टोकरेंसी के साथ फैल गया है.

पढ़ें - पाक का ब्लैक लिस्टिंग से बचने का पैंतरा, दाऊद समेत कई आतंकियों पर प्रतिबंध

FATF सभी देशों पर नजर रखता है ताकि वह यह सुनिश्चित कर सके कि सभी देश उसके मानकों को पूरी तरह और प्रभावी रूप से लागू कर रहे हैं, और उन देशों को ध्यान में रखता है, जो अनुपालन नहीं करते हैं.

एक स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-झांगवी, तारिक गेदर समूह सहित अन्य संगठनों का नेतृत्व टीटीपी के हरकतुल मुजाहिदीन, अल रशीद ट्रस्ट, अल अख्तर ट्रस्ट, तंजीम जैश-अल मोहजरीन अंसार, जमात-उल अहरार, तंजीम खुत्बा इमाम बुखारी, रबीता ट्रस्ट लाहौर, इस्लामिक हेरिटेज सोसायटी का पुनरुद्धार, अल-हरमैन फाउंडेशन इस्लामाबाद, हरकत जिहाद अल इस्लामी, इस्लाम जिहाद ग्रुप, उज्बेकिस्तान इस्लामी तहरीक, रूस के खिलाफ काम करने वाली तंजीम काफाक के अमीरात और चीन के इस्लामिक फ्रीडम मूवमेंट के अब्दुल हक उइगर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार ने भी इन आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध की पुष्टि की है.

रिपोर्ट में पाकिस्तान विदेश कार्यालय का हवाला देते हुए UNSC में कहा गया है कि तालिबान प्रतिबंध संगठन है, जो लोग इससे संबंधित हैं उन पर पाबंदी लगई जाती है.

एसआरओ द्वारा किसी भी परिवर्तन पर, पाकिस्तान सहित सभी देशों ने इन प्रतिबंधों को लागू किया, जिसमें संपत्ति फ्रीज, हथियारों पर रोक और यात्रा प्रतिबंध शामिल हैं.

तालिबान प्रतिबंध समिति ने हाल ही में अपनी प्रतिबंध सूची में किसी भी बदलाव की घोषणा नहीं की है.

बताया जा रहा है कि पाकिस्तान द्वारा 18 अगस्त को जारी किया गया एसआरओ केवल प्रक्रियात्मक उपाय के रूप में पहले घोषित एसआरओ को समेकित और दस्तावेजित करता है और प्रतिबंध सूची या मंजूरी उपायों में किसी भी परिवर्तन को प्रतिबिंबित नहीं करता है.

(अरुणिम भुयान)

Last Updated : Aug 22, 2020, 11:43 PM IST

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