श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की लोलाब घाटी के चंडीगाम में आर्मी गुडविल स्कूल में पढ़ने वाले 11वीं कक्षा के छात्र मुबाशिर का कहना है, 'मैं एक डॉक्टर बनना चाहता हूं और मुझे यकीन है कि मैं प्रवेश परीक्षा में सफल हो जाउंगा.' मुबाशिर जहां रहता है, वह जगह नियंत्रण रेखा (एलओसी) से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
मुबाशिर और उनके सहपाठियों की पढ़ाई के बीच में सीमा पार से होने वाली निरंतर गोलाबारी एकमात्र बाधा है. यह बच्चे पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलीबारी के बीच ही रहते हैं, खेलते हैं और अध्ययन करते हैं.
एक साल पहले जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्या का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त किया था और कश्मीर एक केंद्र शासित क्षेत्र में बदल दिया गया, तभी से सीमा पार से गोलीबारी दोगुनी हो गई है, जिससे सामान्य जीवन और भी मुश्किल हो गया है.
यह छात्र पढ़ाई में काफी अच्छे हैं और उन्हें विभिन्न पाइथागोरस प्रमेय (थ्योरम) के बारे में बेहतर जानकारी है.
स्कूल के सभी 697 विद्यार्थी, जिनमें 472 छात्र और 225 छात्राएं शामिल हैं, वह अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं. कक्षा नौवीं के छात्र साहिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाने के इच्छुक हैं. साहिल ने कहा, 'मैं आईएएस की परीक्षा को पास करना चाहता हूं.'
स्कूल की प्रधानाचार्य जाहिदा मकबूल शाह ने कहा कि स्कूल की स्थापना 2000 में सेना के सद्भावना कार्यक्रम के तहत की गई थी, जिसे बाद में कक्षा 12वीं तक अपग्रेड किया गया और 2015-16 में इसे जम्मू एवं कश्मीर बोर्ड ऑफ एजुकेशन द्वारा मान्यता प्राप्त हुई.
यह अपनी अच्छी तरह से संरचित पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों और बुनियादी ढांचे के लिए बहुत लोकप्रिय है, जिसमें एक कंप्यूटर प्रयोगशाला और एक विज्ञान प्रयोगशाला भी है. इसमें लोलाब घाटी के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हिंदी कक्षाएं भी शामिल हैं.