श्रीनगर : पाकिस्तान ने मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) का उपयोग करते हुए जम्मू-कश्मीर में हथियार भेजने की एक नई तकनीक अपनाई है. हाल ही में इस तरह की कई घटनाएं सामने आई हैं. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में 200 से कम आतंकवादी सक्रिय हैं और इस वर्ष अब तक सीमा पार से सिर्फ 26 आतंकवादी केंद्र शासित प्रदेश में प्रवेश कर सकें हैं.
उन्होंने कहा 'पाकिस्तान ड्रोन (UAV) के माध्यम से आतंकवादियों को हथियार और गोला-बारूद भेजने की कोशिश कर रहा है. हमने अतीत में ऐसी कई घटनाओं का पता लगाया है.'
पुलिस प्रमुख ने कहा कि कुपवाड़ा, हीरा नगर, कठुआ और राजौरी में पाकिस्तानी UAV के हथियार ले जाने की कई घटनाओं का पता चला है.
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पंजाब से जम्मू-कश्मीर में एक ट्रक के माध्यम से हथियारों को भेजा जा रहा था.
पुलिस प्रमुख ने कहा, 'यहां कार्यरत आतंकवादियों के पास हथियारों की भारी कमी है.'
डीजीपी ने कहा कि पाकिस्तान ने इस साल सीमा पार से गोलीबारी तेज कर दी है, ताकि आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में धकेला जा सके.
उन्होंने कहा 2020 के पहले सात महीनों में सीमा पार से 75 प्रतिशत से अधिक गोलीबारी हुई है. इस वर्ष पाकिस्तान की ओर से फायरिंग की कुल 487 घटनाएं हुई हैं, जबकि इस अवधि में पिछले वर्ष इन घटनाओं का आंकड़ा 267 था. अब तक सिर्फ 26 आतंकवादी ही जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कर सके हैं.
सिंह ने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों के कारण सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या को 200 से कम करने में सक्षम रहे हैं, जो कुछ साल पहले 300 से 350 आतंकवादी थे.
आतंकवाद में शामिल होने वाले स्थानीय युवकों का जिक्र करते हुए डीजीपी ने कहा कि इस साल 80 ऐसे युवा अलग-अलग आतंकी समूहों में शामिल हो गए हैं, जिनमें से 20 अब भी सक्रिय हैं और ऐसे आतंकियों का जीवन अधिकतम 90 दिनों का है.
उन्होंने बताया कि जो 80 युवा आतंकी समूहों में शामिल हुए थे, उनमें से 38 को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है, जबकि 22 को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनमें से केवल 20 आतंकी ही सक्रीय हैं.
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि 2020 में अब तक लगभग 150 आतंकियों को मार गिराया है. इनमें से 30 नागरिक विदेशी थे, जबकि 39 आतंकी संगठन के शीर्ष कमांडर. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों में अब नेतृत्व की भारी कमी है. इन संगठनों के पास अब कोई नेता नहीं है.
पिछले दो वर्ष में आतंकवाद विरोधी अभियानों की सफलता का दावा करते हुए डीजीपी ने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हुआ है कि सुरक्षा बल अब आतंकवादी समर्थक संगठनों जमात-ए-इस्लामी (जेके), हुर्रियत और उनके ग्राउंड सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है.
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जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत के कई ग्राउंड स्तर के नेता हिरासत में हैं, जिससे उनकी फंडिंग खत्म हो गई है.
सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और कुछ अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक आतंकवादी निगरानी समूह (TMG ) की स्थापना की गई है, जो आतंकवादियों और उनके समर्थकों की फंडिंग को रोकने के लिए लगातार काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि हवाला से फंडिंग करने वाले सभी लिंक को फिलहाल बंद कर दिया गया है.
पुलिस प्रमुख ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा को लेकर सुरक्षा ग्रेड में सुधार किया गया है. परिणामस्वरूप इस वर्ष अब तक सीमाओं के साथ छह मुठभेड़ हुई हैं.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 2019 के पहले सात माह में सुरक्षा बलों में 76 हताहत और 107 घायल हुए, जबकि 2020 में इसी अवधि में सुरक्षा बलों में सिर्फ 36 हताहत और 102 घायल हुए थे. डीजीपी ने कहा कि 2019 के पहले सात माह में जहां कुल 198 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं 2020 में इन घटनाओं नें 70 प्रतिशत की कमी आई है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष के सात माह में केवल 124 आतंकी घटनाएं सामने आई हैं.