हैदराबाद: गीता बोल और सुन नहीं सकती, लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 2015 में पाकिस्तान से भारतीय मातृभूमि पर लौटने के बाद उसकी आंखें अपने परिवार को लगातार तलाश रही हैं जो उससे लगभग 20 साल पहले बिछड़ गया था.
बहुचर्चित घटनाक्रम में स्वदेश वापसी के पांच साल गुजर जाने के बाद भी मूक-बधिर युवती ने हालांकि उम्मीद नहीं छोड़ी है. अब वह महाराष्ट्र और इससे सटे तेलंगाना में अपने बिछड़े परिवार को खोजने निकल पड़ी है.
फिलहाल वह अपने परिवार को खोजते हुए तेलंगाना के बसर पहुंची है. इससे पहले वह महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में थीं, जहां उन्होंने मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश की थी.
अधिकारियों ने बताया कि दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख-रेख कर रही है. मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है.
संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए पिछले सप्ताह से शुरू हुई यात्रा में इस मूक-बधिर युवती के साथ हैं.
पुरोहित ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.
महाराष्ट्र और तेलंगाना पुलिस भी गीता के परिवार की खोज में उसकी मदद कर रही है. औरंगाबाद पुलिस की महिला शाखा में तैनात वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक किरण पाटिल ने फोन पर बताया, 'हम औरंगाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में गुजरे 20 साल के दौरान लापता मूक-बधिर बच्चों का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. हो सकता है कि हमें गीता के बिछड़े परिवार के बारे में कोई अहम सुराग मिल जाए.'