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'जलपुरुष' की आंखों से बह रही 'जलधारा' : तंगहाली में पद्मश्री सिमोन उरांव - पद्मश्री सिमोन उरांव का इतिहास

जल, जंगल, जमीन और सामाजिक क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए पद्मश्री सिमोन उरांव को केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही कई सामाजिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है, लेकिन वह आज आर्थिक तंगी में जीवन गुजारने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरा विवरण....

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पद्मश्री सिमोन उरांव परिवार के साथ

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Published : Jan 5, 2020, 5:10 PM IST

झारखंड : जल-जंगल-जमीन और सामाजिक क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए पद्मश्री सिमोन उरांव को केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने कई अवॉर्ड, मेडलों और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया. फिलहाल 'जलपुरुष' के नाम से लोकप्रिय उरांव आज आर्थिक तंगी में जीवन गुजार रहे हैं. उरांव की दो पोतियां दूसरे के घरों में काम कर रही हैं. उनकी पढ़ाई भी छूट गई है.

जल, जंगल और जमीन बाबा की उपाधि
बेड़ो प्रखंड के खक्सी टोली गांव निवासी 83 वर्षीय सिमोन उरांव ने वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए कई बांध, तालाब, कुआं और नहर बनाए हैं. उन्होंने बारिश के पानी का सिंचाई में उपयोग किया, जिससे उन्हें 'जलपुरुष' की उपाधि मिली. वहीं वन संरक्षण के लिए वन सुरक्षा समिति बनाई और 'एक पेड़ काटो तो दस पेड़ लगाओ' का नारा दिया. जिसे इन्हें 'जल, जंगल और जमीन बाबा' की उपाधि भी मिली, वहीं समाजिक क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए इन्हें 12 पाड़हा राजा बनाया गया.

'जलपुरुष' कहे जाने वाले पद्मश्री सिमोन उरांव पर खास रिपोर्ट.

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आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
सिमोन उरांव बताते हैं कि परिवार का भरण पोषण जड़ी-बूटी से दवा बनाकर होता है. जंगल से लाई गई जड़ी-बूटियों से कई तरह की दवाएं बनाते हैं. उनके पास रोगी दूर-दूर से आते हैं.

उरांव दवा के बदले पैसों की मांग भी नहीं करते, जो मिला, वही रख लेते हैं. वह कहते हैं कि उन्होंने आज तक किसी से कुछ नहीं मांगा है. उनकी एक ही सोच है कि सबकी खुशी में ही उनकी खुशी.

बार-बार पूछने पर वह कहते हैं कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पोती की पढ़ाई छूट गई है, आज नहीं तो कल पढ़ेगी.

'अब बूढ़े हो चले हैं'
वहीं, सिमोन उरांव की पत्नी विरजिनिया उरांव कहती हैं कि उन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, जो घरेलू खर्च में निकल जाता है. वो कहती हैं कि अब वह बूढ़े हो चले हैं, उनके पति ने सबके लिए किया, अब सरकार को उनके लिए कुछ करना चाहिए.

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'सरकार को भी इनके लिए कुछ करना चाहिए'
इधर, पंचायत के मुखिया सुनील कच्छप बताते हैं कि सिमोन उरांव ने जल संचय और जंगल संरक्षण के लिए मार्गदर्शन का काम किा हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आ रही है, लेकिन आज हमारे पद्मश्री की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, सरकार को भी इनके लिए कुछ करना चाहिए.

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