झारखंड : जल-जंगल-जमीन और सामाजिक क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए पद्मश्री सिमोन उरांव को केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने कई अवॉर्ड, मेडलों और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया. फिलहाल 'जलपुरुष' के नाम से लोकप्रिय उरांव आज आर्थिक तंगी में जीवन गुजार रहे हैं. उरांव की दो पोतियां दूसरे के घरों में काम कर रही हैं. उनकी पढ़ाई भी छूट गई है.
जल, जंगल और जमीन बाबा की उपाधि
बेड़ो प्रखंड के खक्सी टोली गांव निवासी 83 वर्षीय सिमोन उरांव ने वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए कई बांध, तालाब, कुआं और नहर बनाए हैं. उन्होंने बारिश के पानी का सिंचाई में उपयोग किया, जिससे उन्हें 'जलपुरुष' की उपाधि मिली. वहीं वन संरक्षण के लिए वन सुरक्षा समिति बनाई और 'एक पेड़ काटो तो दस पेड़ लगाओ' का नारा दिया. जिसे इन्हें 'जल, जंगल और जमीन बाबा' की उपाधि भी मिली, वहीं समाजिक क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए इन्हें 12 पाड़हा राजा बनाया गया.
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आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
सिमोन उरांव बताते हैं कि परिवार का भरण पोषण जड़ी-बूटी से दवा बनाकर होता है. जंगल से लाई गई जड़ी-बूटियों से कई तरह की दवाएं बनाते हैं. उनके पास रोगी दूर-दूर से आते हैं.