हैदराबाद : भारत में पिछले कुछ दिनों से प्रतिदिन कोरोना के 90,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं. इसकी वजह से अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है.
कोरोना वायरस अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैल गया है, जैसा कि सीरो सर्वेक्षण में देखा जा रहा है. इससे कोरोना को लेकर चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
केंद्र के साथ कई राज्यों ने भी पिछले कुछ दिनों में इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है. 13 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सात राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आग्रह किया है.
मंत्रालय ने डीपीआईआईटी सचिव, फार्मास्यूटिकल्स सचिव और उपर्युक्त सात राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों और उद्योग सचिवों के साथ एक बैठक की, जिसमें सभी स्वास्थ्य सुविधाओं और ऑक्सीजन के अंतर-राज्यों में इसकी सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा की गई.
राज्यों में ऑक्सीजन की कमी पर एक नजर
महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह भी स्वीकार किया है कि राज्य को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उन्होंने कहा कि अधिकारी कमी को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं. मुंबई के कई अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी की शिकायत की.
पनवेल सिटी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के डिप्टी कमिश्नर संजय शिंदे ने कहा कि इसके पीछे का वास्तविक कारण आपूर्तिकर्ताओं और निजी अस्पतालों के बीच कीमतों में मतभेद है. खारघर स्थित पोलारिस अस्पताल के मैनेजर अशोक कुमार ने कहा कि ऑक्सीजन की नियमित आपूर्ति नहीं है. हमारी मांग 7,000 लीटर के 25 से 30 सिलिंडर का है, लेकिन हम इसे आधे से भी कम प्राप्त करते हैं.
गुजरात
गुजरात सरकार ने अहमदाबाद और वडोदरा के कोविड -19 अस्पतालों को ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण पिछले दिनों में चिकित्सा इकाइयों की आपूर्ति और सर्कुलेशन को नियमित किया.
तेलंगाना
तेलंगाना में कोविड -19 के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आने वाले दिनों में यहां भी ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो सकती है. बढ़ते मामलोंं के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ती जा रही है. आपूर्तिकर्ता और अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, इससे मरीजों को नुकसान हो रहा है.
कर्नाटक
जैसे-जैसे मामलों की संख्या बढ़ी है, सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गई है. किम्स भी परिस्थिति का सामना किया जिसके बाद मरीजों को तुरंत बॉरिंग और विक्टोरिया अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया. स्वास्थ्य मंत्री सुधाकर ने कहा कि महामारी के कारण ऑक्सीजन की मांग चार से पांच गुना बढ़ गई है. ऑक्सीजन की कमी की समस्या जिलों में अभी तक नहीं देखी गई है. बेंगलुरु में कोरोना से सबसे ज्यादा मृत्यु हुई है. सुधाकर ने कहा की राज्य सरकार को इसके कीमतों को रेगुलेट करने की जरूरत है.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या में वृद्धि जारी है. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में स्वीकार किया है कि यहां ऑक्सीजन की भारी कमी है. कोविड -19 से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. सांसद और अधिवक्ता पुरुषिंद्र कौरव ने उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के समक्ष महाराष्ट्र सरकार को आपूर्ति बंद नहीं करने के लिए निर्देश देने की मांग की.
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने महाराष्ट्र के समकक्ष उद्धव ठाकरे को तुरंत बात करने के लिए कहा, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पूर्व ऑक्सीजन आपूर्ति जारी रखने का आश्वासन दिया था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार ने भी मध्य प्रदेश को एक दिन में 50 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की.
उत्तर प्रदेश
ऑक्सीजन की बढ़ती कीमतों और पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने के कारण, कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किए जा रहे मरीज असहाय हैं. सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत में अचानक दो से तीन गुना की वृद्धि हुई है, जबकि ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली कंपनियों के संयंत्रों में उत्पादन मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है.
ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के कारण उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन विक्रेताओं ने कालाबाजारी शुरू कर दी है. जरूरतमंदों से निर्धारित मूल्य से दोगुना तक वसूला जा रहा है. यदि हम मेरठ में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज का उदाहरण लेते हैं, तो यहां लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में पांच टन तरल ऑक्सीजन भरा जाता था, जो एक सप्ताह तक चलता था. अब यह दो दिनों में समाप्त हो रहा है. वहीं, रोजाना 200 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होती थी, अब 575 ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करनी होगी. ऐसा ही हाल आगरा के मेडिकल कॉलेज और राज्य के अन्य बड़े अस्पतालों का है.
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