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11 दिनों में 1.44 लाख श्रद्धालुओं ने की अमरनाथ यात्रा

अमरमनाथ यात्रा का 11 वां जत्था शुक्रवार को रवाना हो गया. इसमें 5,395 लोग शामिल हैं. इस जत्थे के दर्शन करने के साथ ही अबतक दर्शन करने वाले श्रद्धालुलों की संख्या 1,44,058 हो जाएगी.

अमरनाथ यात्री.

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Published : Jul 12, 2019, 9:55 AM IST

जम्मू: अमरनाथ यात्रा के लिए शुक्रवार को जम्मू से 5,395 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ. इस साल एक जुलाई से यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 1.44 लाख से अधिक श्रद्धालु समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित बाबा बफार्नी के दर्शन कर चुके हैं. अधिकारियों ने कहा कि एक जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 11 दिनों में 1,44,058 श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं.

पुलिस ने आज यहां कहा कि 5,395 यत्रियों का एक और जत्था आज सुबह भगवती नगर यात्री निवास से घाटी के लिए दो सुरक्षा काफिले में रवाना हुआ.

पुलिस ने आगे बताया, 'इनमें से 1,966 यात्री बालटाल आधार शिविर जा रहे हैं जबकि 3,429 यात्री पहलगाम आधार शिविर जा रहे हैं.' श्रद्धालुओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है.

तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं. दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की सेवाएं हैं.

बर्फ की आकृति चंद्रमा की गति के साथ-साथ अपनी संरचना बदलती है. स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और आसानी से यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता की है.

इसे स्वीकार करते हुए प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से पूरी करना सिर्फ स्थानीय मुस्लिमों की सक्रियता के कारण ही संभव हुआ है.

पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक मुस्लिम चरवाहा बूटा मलिक ने की थी. किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बैग दिया था, बाद में कोयला सोने में बदल गया था.

लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चड़ावे का कुछ भाग दिया जाता है. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा, यानी रक्षा बंधन के साथ होगा.

बता दें, की कश्मीर में अमरमनाथ यात्रा के लिए किए गए इंतेजामों पर सवाल भी खड़े हुए. कश्मीरी नेताओं का कहना है कि इतने सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि यात्रा के चलते राज्यमांर्ग को बंद रखा गया, जिसके चलते लोगों को आए दिन समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

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