नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो महिला कर्मचारियों और श्रमिकों को हर महीने उनकी रजोनिवृति (पीरियड्स) के समय का वेतन सहित अवकाश देने की मांग पर प्रतिवेदन के तौर पर विचार करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.
बता दें कि ये याचिका दिल्ली लेबर यूनियन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजीव अग्रवाल ने कहा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के दफ्तरों में महिलाकर्मियों की संख्या अच्छी-खासी है. वर्तमान में महिलाएं हर क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं, चाहे वे कुशल श्रमिक के रूप में हो, अकुशल श्रमिक के रूप में हों या अधिकारी के रूप में. इन महिला श्रमिकों को स्थायी और अस्थायी या संविदा के आधार पर रोजगार दिया गया है.
'रजोनिवृति महिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत'
याचिका में कहा गया है कि महिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत की वजह से उन्हें बाकी कर्मचारियों से अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए. महिलाओं को रजोनिवृति के समय अलग और स्वच्छ शौचालय की सुविधा देने के अलावा उन्हें कैजुअल लीव या वेतन सहित छुट्टी दी जाए. रजोनिवृति के समय मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन देने की मांग की गई है.
'महिलाओं को अलग से कोई सुविधा नहीं दी जाती'
याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 15(3) के मुताबिक केंद्र और दिल्ली सरकार को महिलाओं के लिए अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए, लेकिन सरकारें उन्हें अलग से कोई सुविधा नहीं देती हैं. महिला कर्मचारियों, श्रमिकों से पुरुष कर्मचारियों और श्रमिकों की तरह ही व्यवहार किया जाता है. उनके लिए कोई खास इंतजाम नहीं किया जाता है.