नई दिल्ली: विपक्षी दलों के सदस्यों ने शुक्रवार को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को वर्तमान रूप में पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि इसमें कई और यह पेरिस के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था. विधेयक पर बहस की शुरुआत करते हुए, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि बिल में कई खामिया हैं और यह मानव अधिकार संगठन की समस्याओं हल करने में भी नाकाम रहेगा.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा विधेयक में चेयरमैन के कार्यकाल को मौजूदा 5 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है. कार्यकाल के घटने से इसके कामकाज में असंगति आएगी.
थरूर ने कहा कि यह विधेयक टुकड़ों में बंटा हुआ है. यह न तो कमियों को पूरा करता है और न ही पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप है.
जानकारी दे दें कि पेरिस सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय मानकों का एक समूह है जो राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का गठन और उनके कार्यों का मार्ग दर्शन करता है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में कई जगह मानवाधिकारों के उल्लंघन हो रहा है. असम के कई लोगों को भारतीय नागरिकता से वंचित किया गया है क्योंकि वे अपनी जन्म तिथि को साबित करने में विफल रहे.
उन्होंने कहा कि भारत की नागरिकता से इनकार करने के बाद 57 लोग आत्महत्या कर चुके हैं क्योंकि वह जन्म की तारीख को साबित नहीं कर सके.
उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि इंदिरा जयसिंग और आनंद ग्रोवर जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आवाज़ों को 'कलंकित' किया जा रहा है.पर्यावरण कार्यकर्ताओं को विस्थापित किया जा रहा है, जबकि विलफुल डिफॉल्टरों को देश से भागने की अनुमति दी गई.