नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को आश्वस्त किया कि लोक सभा से पारित कृषि सुधार संबंधी विधेयक उनके लिए रक्षा कवच का काम करेंगे और नए प्रावधान लागू होने के कारण वह अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में अपनी मनचाही कीमत पर बेच सकेंगे. प्रधानमंत्री ने विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह इन विधेयकों का विरोध कर किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही हैं और बिचौलियों के साथ किसानों की कमाई को बीच में लूटने वालों का साथ दे रही हैं.
उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वह इस भ्रम में न पड़ें और सतर्क रहें. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को अपनी उपज कहीं पर भी किसी को भी बेचने की आजादी देना बहुत ऐतिहासिक कदम है. उन्होंने कहा, '21वीं सदी में भारत का किसान बंधनों में नहीं रहेगा. भारत का किसान खुलकर खेती करेगा. जहां मन होगा, अपनी उपज बेचेगा. जहां ज्यादा पैसा मिलेगा, वहां बेचेगा. किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं रहेगा. यह देश की जरूरत है और समय की मांग भी है.'
मोदी ने यह बातें आज ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु को राष्ट्र को समर्पित करने और बिहार के रेल यात्रियों की सुविधाओं के लिए 12 रेल परियोजनाओं का शुभारंभ करने के बाद अपने संबोधन में कही.
मोदी ने कहा, 'कल विश्वकर्मा जयंती के दिन लोक सभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक पारित किए गए हैं. किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा खुद ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए ये विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे. यह विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आए हैं.'
उन्होंने कहा कि जो लोग दशकों तक सत्ता में रहे हैं और देश पर राज किया है, वह लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं ओर उनसे झूठ बोल रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'जिस एपीएमसी एक्ट को लेकर अब यह लोग राजनीति कर रहे हैं, एग्रीकल्चर मार्केट के प्रावधानों में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, उसी बदलाव की बात इन लोगों ने अपने घोषणापत्र में भी लिखी थी. लेकिन अब जब एनडीए सरकार ने यह बदलाव कर दिया है, तो यह लोग इसका विरोध करने पर उतर आए हैं. दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सरकार के द्वारा किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का लाभ नहीं दिया जाएगा. ये भी मनगढ़ंत बातें कही जा रही हैं कि किसानों से धान-गेहूं इत्यादि की खरीद सरकार द्वारा नहीं की जाएगी. यह सरासर झूठ है, गलत है, किसानों को धोखा है.'