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CAA के खिलाफ विपक्षी दलों के नेता एकजुट, राष्ट्रपति कोविंद को सौंपा ज्ञापन - opposition-leaders-meets-president-kovind

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की. सभी दलों ने राष्ट्रपति को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा है. जानें पूरा विवरण...

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सोनिया गांधी

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Published : Dec 17, 2019, 5:18 PM IST

Updated : Dec 17, 2019, 9:49 PM IST

नई दिल्ली : संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विपक्षी दलों के नेता एकजुट हो गए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ' ब्रायन, राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की.

विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा है. राष्ट्रपति से भेंट के बाद सोनिया गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार जनता की आवाजें दबा रही है. उन्होंने कहा, 'हमारे पास दिल्ली में एक उदाहरण है, जहां पुलिस ने जामिया महिला छात्रावास में प्रवेश किया और उन्हें बाहर निकाला, पुलिस ने छात्रों को बेरहमी से पीटा.'

राष्ट्रपति से भेंट करने के बाद मीडिया से बात करतीं सोनिया गांधी

बकौल सोनिया, 'मुझे लगता है कि आप सभी ने देखा होगा कि लोगों की आवाज दबाने और कानून लागू करने के दौरान मोदी सरकार कोई दया नहीं करती.'

सोनिया गांधी ने कहा कि उत्तर पूर्व के राज्यों और दिल्ली में हालात तनावपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस ने ज्यादती की. उन्होंने बताया कि विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से इस मामले में दखल देने की अपील की है.

मीडिया से बात करते मनोज झा

राष्ट्रीय जनता दल ( RJD) नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि उन फैसलों के, जो संविधान के खिलाफ हैं, लिए राष्ट्रपति कोविंद सरकार से आग्रह करें कि इन कानूनों को वापस लें. उन्होंने कहा, 'आज हम सभी दल इसलिए एकत्र हुए हैं ताकि संविधान के मूल्यों को वापस ला सकें.'

सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि आम लोगों के मन में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर डर है. उन्होंने कहा कि ये कानून देश को बंटवारे की ओर ले जाने वाला है.

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राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने देश की हालात की परवाह किए बिना ये कानून बनाया है.

गुलामनबी आजाद का बयान

आजाद ने कहा कि सभी पार्टियों की ओर राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया गया, जिसमें देश और संविधान को बांटने वाले नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग की गई. सरकार यह बात जानती थी कि इसे देश की जनता इस कानून को स्वीकार नहीं करेगी, फिर भी इसे लागू किया गया. उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर में भी सरकार वही कर रही है, जो उसने कश्मीर में किया था.

सीताराम येचुरी का बयान

इस मामले पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि संविधान का संरक्षक होने के नाते राष्ट्रपति सरकार को कानून वापस लेने की सलाह दें.

तृणमूल कांग्रेस ने भी नागरिकता कानून को वापस लेने और इस संबंध में राष्ट्रपति से सरकार को निर्देश देने की अपील की है.

गौरतलब है कि राष्ट्रपति से भेंट करने वाले प्रतिनिधिमंडल में सीपीएम के सीताराम येचुरी, डी. राजा, कांग्रेस के एके एंटनी, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, लोकसभा सांसद रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूदी समेत कई अन्य नेता भी शामिल रहे.

Last Updated : Dec 17, 2019, 9:49 PM IST

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