नई दिल्ली/ गाजियाबाद : नए कृषि बिलों को लेकर केंद्र सरकार का कहना है कि नए कृषि कानूनों से कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा. केंद्र सरकार इन कानूनों को किसानों के हित में उठाया गया एक एतिहासिक कदम बता रही है.
वहीं, दूसरी ओर किसान संगठन और विपक्ष इसके विरोध में हैं. हाल ही में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) समेत विभिन्न किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में चक्का जाम किया था.
नए कृषि कानूनों पर अनिल अग्रवाल 'किसानों की आय दोगुना करने का है लक्ष्य'
कृषि कानूनों को लेकर ईटीवी भारत ने भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल अग्रवाल से बातचीत की. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को राजनीतिक रोटियां मिलनी बंद हो गई हैं. यही लोग नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. देश के किसानों ने कृषि कानूनों का स्वागत किया है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना है. उसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है.
'किसानों को भ्रमित कर रहा विपक्ष'
अनिल अग्रवाल ने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष किसानों को भ्रमित कर रहा है. भ्रम को दूर करने के लिए भाजपा के जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर किसानों को कृषि बिल के फायदों के बारे में बता रहे हैं. किसानों को भी समझ आ रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों से उन्हें आर्थिक तौर पर फायदा तो होगा ही, साथ में आने वाले समय में उन्हें उन्नति के अवसर भी मिलेंगे.
'हरसिमरत कौर ने राजनीतिक कारणों से दिया इस्तीफा'
कृषि बिलों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. हरसिमरत कौर के इस्तीफे पर राज्यसभा सांसद ने कहा कि पंजाब की राजनीति के कारण हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दिया है. वह समझ रही थीं कि नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के हित में पहले भी कई कदम उठाए जा चुके हैं. किसान आश्वस्त हैं.